इंदौर5 घंटे पहले
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- आरोपी फर्नांडीज की जमानत याचिका पर सुनवाई में हुआ खुलासा
- मैक्सिको के इस रैकेट का सालाना कारोबार 2 लाख करोड़ से ज्यादा
सितंबर 2018 में इंदौर में पोलोग्राउंड की एक फैक्टरी से मिली सबसे महंगी ड्रग्स फेंटानिल मामले के तार दुनिया में सबसे बड़े ड्रग्स रैकेट मैक्सिको के सिनालोआ कर्टेल से जुड़ गए हैं। इसका खुलासा हाईकोर्ट में इसी मामले में आरोपी और जिला जेल में बंद विदेशी नागरिक सालिस फर्नांडीज की जमानत याचिका पर हुई सुनवाई में जांच एजेंसियों ने किया है।
जांच एजेंसी डायरेक्टोरेट आफ रिवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में अमेरिकी जांच एजेंसी भी सिनालोआ मैक्सिको बेस ड्रग ट्रैफकिंग आर्गेनाइजेशन की जांच कर रही है जो इस मामले में जुड़ा हुआ है। इस संबंध में अमेरिकी एजेंसियों ने देश के गृह मंत्रालय से भी चर्चा की है। जांच एजेंसियों ने जमानत पर आपत्ति ली है। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक रूसिया ने जमानत आवेदन खारिज कर दिया। फेंटानिल ड्रग इतनी घातक होती है कि दो मिलीग्राम लेने से भी जान जा सकती है।
यह है मामला
- सितंबर 2018 में पोलोग्राउंड में छापे के दौरान 10 किलो से ज्यादा फेंटानिल ड्रग मिली थी जिसकी कीमत 117 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस मामले में मनु गुप्ता, मोहम्मद सादिक और फर्नांडीज को गिरफ्तार किया गया जो अभी भी जेल में बंद हैं। मुंबई में भी एक हजार करोड़ की फेंटानिल के तार मैक्सिको से ही जुड़े।
- 2019 में मुंबई में भी चार आरोपियों से सौ किलो फेंटानिल मिली थी, जिसकी कीमत करीब एक हजार करोड़ बताई जाती है। जांच एजेंसियों ने बताया था कि यह ड्रग मुंबई से होते हुए मैक्सिको ड्रग्स रैकेट के माध्यम से अमेरिका जा रही थी।
सरगना पर वेब सीरीज भी बनी है
इस कर्टेल का ड्रग्स कारोबार सालाना दो लाख करोड़ से ज्यादा का है। ये दुनिया के सबसे बड़े ड्रग्स तस्करी गिरोहों में से है। दुनिया का सबसे अमीर ड्रग्स तस्कर अल-चापो गुजमैन इसी कर्टेल का सरगना था, जिस पर वेब सीरीज भी बनी है।
जिसकी चार फर्म में करोड़ों ट्रांसफर हुए, उसे आरोपी नहीं बनाया
जिसकी चार फर्म में विदेशी एप के जरिए ऑनलाइन सट्टा चलाने के मामले में करोड़ों रुपए ट्रांसफर किए गए, पुलिस ने उसे आरोपी ही नहीं बनाया। महू टीआई अभय नीमा को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा है। एसपी महेशचंद जैन ने बताया कि जिन-जिन फर्मों में करोड़ों रुपए के लेन-देन किए गए थे।
उन फर्मों के संचालकों ने रुपयों को व्हाइट करने के लिए फर्जी बिल तैयार कर लगाए थे। इसलिए हमने सभी फर्मों के संचालकों को आरोपी बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन पीयूष आहुजा और उसके पिता घनश्याम आहूजा के नाम पर चार फर्म बनाकर उसमें सट्टे के करोड़ों रुपए ट्रांसफर कराए थे, लेकिन मामले में पीयूष को आरोपी नहीं बनाया गया। इस पर टीआई से स्पष्टीकरण मांगा है।