Changing the captain in the middle of the season creates pressure | सीजन के बीच में कप्तान बदलने से दबाव बनता है

Changing the captain in the middle of the season creates pressure | सीजन के बीच में कप्तान बदलने से दबाव बनता है


नई दिल्ली12 मिनट पहले

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आईपीएल में कप्तान के रूप में मॉर्गन का पहला मैच काफी खराब रहा। मुंबई ने कोलकाता को 8 विकेट से हराया। एक हार से माॅर्गन की कप्तानी पर कोई असर नहीं होगा। कार्तिक को कप्तानी से हटने की खबर मुंबई के खिलाफ मैच के दिन आई। ऐसे में माॅर्गन को तैयारी का समय नहीं मिला। माॅर्गन का बतौर कप्तान लिमिटेड ओवर का प्रदर्शन अच्छा रहा है, लेकिन अब उनके सामने चुनौती है। लेकिन यह समझना होगा कि आखिर कार्तिक को क्यों हटाया गया? क्या यह उनका निर्णय था, जैसा कि बताया जा रहा है या वे टीम मैनेजमेंट के दबाव में थे। कई तरह की अफवाहें हैं। कुछ सूत्रों का कहना है मैनेजमेंट कार्तिक से खुश नहीं थी। अन्य सूत्र का कहना है कार्तिक बल्लेबाजी को लेकर परेशान थे, जिससे टीम का प्रदर्शन नीचे जा रहा था। कप्तानी कभी आसान नहीं होती। हो सकता है मैनेजमेंट की उनसे जो अपेक्षा थी, उन्हें वो ना मिला हो। यह भी हो सकता है कि कार्तिक खुद से परेशान रहे हों। खुद का खराब प्रदर्शन, टीम का प्रदर्शन और मैनेजमेंट की अपेक्षा भी खुद पर दबाव बना सकती है। हो सकता है कि इस कारण माॅर्गन को कप्तानी का मौका मिला हो। यह पहली बार नहीं है जबकि टूर्नामेंट के दौरान कप्तान बदले गए हों। 2019 में राजस्थान ने रहाणे की जगह स्मिथ को कप्तान बनाया। 2013 में पोंटिंग की जगह रोहित कप्तान बने थे। यह जरूरी नहीं कि कप्तान बदलने का रिजल्ट अच्छा ही आए। स्मिथ की कप्तानी में राजस्थान की टीम संघर्ष कर रही है। रोहित की कप्तानी में मुंबई ने चार खिताब जीते। जरूरी नहीं है कि कप्तान को सिर्फ इसलिए बदल दिया गया कि टीम का प्रदर्शन खराब हुआ या कप्तान का खुद का प्रदर्शन खराब हुआ। गावसकर और द्रविड़ को जीत के बाद भी कप्तानी से हटना पड़ा। 1985 में ऑस्ट्रेलिया में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीत के बाद गावसकर ने कप्तानी छोड़ दी। 2007 में इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में 1-0 से जीत दिलाने के बाद द्रविड़ हटे। इंग्लैंड में 26 साल बाद जीत मिली थी। कप्तानी छोड़ना कभी भी आसान नहीं होता क्योंकि इसके साथ एक ओहदा भी मिलता है। यदि कोई खिलाड़ी छोड़ता भी है तो उसके पर्याप्त कारण होते हैं। यह अचानक लिया फैसला नहीं होता। किसी नए को कप्तान बनाया जाना आम बात है लेकिन मिड सीजन में यह बदलाव ठीक नहीं है। इससे कप्तान के साथ-साथ अन्य खिलाड़ियों पर दबाव बनता है। नए कप्तान के आने के बाद उन्हीं खिलाड़ियों के साथ नए तरह का प्लान बनाना पड़ता है। यह सभी के लिए चैलेंजिंग हो सकता है। माॅर्गन की राह आसान नहीं है।



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