The driver’s body was buried in the soil brought from the dumper, collapsed in the new commissioner’s office, the body was about 10 days old | डंपर से लाई गई मिट्‌टी में दबी थी ड्राइवर की लाश, नए कमिश्नर ऑफिस में उड़ेली तो गिरी, शव करीब 10 दिन पुराना

The driver’s body was buried in the soil brought from the dumper, collapsed in the new commissioner’s office, the body was about 10 days old | डंपर से लाई गई मिट्‌टी में दबी थी ड्राइवर की लाश, नए कमिश्नर ऑफिस में उड़ेली तो गिरी, शव करीब 10 दिन पुराना


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हाेशंगाबाद2 मिनट पहले

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डंपर में भरी मिट्‌टी से निकली लाश की जांच करती पुलिस

  • शव के पास 100 रुपए, तीन विजिटिंग कार्ड, माेबाइल और एक चप्पल मिली

निर्माणाधीन कमिश्नर कार्यालय में निमसाड़िया से बिना अनुमति से लाई गई मिट्टी खाली करते समय डंपर से युवक की लाश निकलने से सनसनी फैल गई। शव करीब 10 दिन पुराना है। उसकी पहचान पेंट में रखे आधार कार्ड से हुई। शव दीप सिंह उर्फ दीपक पिता रंगलाल भल्लावी (47) का है।

दीप सिंह मूलत: हंडिया का निवासी था। फिलहाल ग्वालटाेली में आबकारी वेयरहाउस के पास किराए से रहता था। वह भी डंपर चलाता था। काेतवाली पुलिस ने प्रारंभिक जांच कर जिला अस्पताल शव पहुंचाया लेकिन शव की हालत खराब हाेने के कारण उसे भाेपाल मेडिकाे लीगल में पीएम करने पहुंचाया गया। एएसआई सुनील कुशवाह ने बताया साेमवार काे पीएम हाेगा।

एसआई प्रवीण यादव ने बताया शनिवार देर रात डंपर एमपी 05 जी 8354 का ड्राइवर राजेश पाल जनपद पंचायत के पीछे निर्माणाधीन कमिश्नर कार्यालय के लिए निमसाड़िया में मनाेज चाैरे के खेत से मिट्टी लेकर आया था। रात 2 बजे मिट्टी खाली होने के बाद राजेश डंपर का डाला बंद करने पहुंचा ताे उसे दीपसिंह की लाश दिखी। एसडीओपी मंजू चाैहान,एफएसएल अधिकारी दीप्ती श्रीवास्तव, देहात टीआई हेमंत श्रीवास्तव ने मामले की जांच शुरू की।

हत्या, आत्महत्या या हादसा, 10 दिन से किसी को दिखा भी नहीं शव

दीप सिंह की माैत हत्या है, हादसा है या आत्महत्या। यह अब तक बड़ा राज है। सवाल यह है कि दीप सिंह इस स्थान पर कैसे पहुंचा, उसकी हत्या की गई है या फिर किसी हादसे में जान गई है। 10 दिन से उसका शव किसी काे दिखा तक नहीं।

11 अक्टूबर से लापता था दीप, ठेकेदार ने दिलाया था मोबाइल, जिससे पहचाना

दीपसिंह पवन पटेल के डंपर चला रहा था। पटेल ने बताया दीप सिंह उर्फ दीपक 11 अक्टूबर से आ नहीं रहा था। आधार कार्ड से ठेकेदार पवन पटेल ने दीपसिंह काे पहचान लिया। उसे पटेल ने ही माेबाइल दिलवाया था। मोबाइल देखकर ही पवन ने उसे पहचाना।



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