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इंदौर20 मिनट पहले
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बच्चे के जुड़े अंगों को देख झाबुआ अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे एमवाय इंदौर रैफर कर दिया था।
- झाबुआ जिले के मेघ नगर में 9 अक्टूबर को बच्चे का जन्म घर पर ही हुआ था
- बच्चा हेट्रोफोगस पैरासिटिक कंज्वाइंड ट्विन्स नामक जटिल बीमारी से ग्रसित था
इंदौर के सबसे बड़े सरकार अस्पताल में शुक्रवार को डॉक्टरों ने एक विलक्षण बच्चे का सफल ऑपरेशन किया। डॉक्टरों ने ऐसे बच्चे को नई जिंदगी दी, जिसके चार हाथ, चार पैर और एक सिर था। डाॅक्टरों ने तीन घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद चार दिन के इस बच्चे के शरीर के अंगों को अलग किया। झाबुआ का ये बच्चा 12 तारीख को इंदौर लाया गया, जिसे स्पेशल डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेट करने का फैसला लिया और सफलतापूर्वक सर्जरी कर बच्चे को बचाया जा सका।
मोनिका पति अल्बुष निवासी मेघनगर झाबुआ ने एक बच्चे काे घर पर ही जन्म दिया था। बच्चा हेट्रोफोगस पैरासिटिक कंज्वाइंड ट्विन्स (जुड़वा बच्चा) नाम की जटिल बीमारी से ग्रसित था। बच्चे काे पहले परिजन मेघनगर ले गए, जहां से झाबुआ अस्पताल भेज दिया गया। एमवाय अस्पताल के डॉक्टर ब्रिजेश लाहोटी ने बताया कि चार दिन के इस विलक्षण बच्चे को 12 अक्टूबर को झाबुआ अस्पताल से रैफर किया गया था। बच्चे के आने के बाद जांच पड़ताल की और ऑपरेशन कर अलग करने का निर्णय लिया गया। 16 अक्टूबर को हमने बच्चे का ऑपरेशन किया। ऑपरेशन हमारे लिए भी चुनौती भरा था कि क्योंकि हमें नहीं पता था कि भीतर के किन-किन अंगों में खराबी है और कौन-कौन से अंग जुड़े हुए हैं। इसके बाद हमने धीरे-धीरे अंगों को अलग किया। ऑपरेशन के बाद बच्चे को आईसीयू में रखा। उन्होंने बताया कि यदि यह इलाज बाहर होता तो करीब 5 लाख रुपए का खर्च आता है।
9 अक्टूबर की रात घर पर ही हुआ था बच्चे का जन्म
बच्चे के पिता अल्बुज का कहना है कि वह झाबुआ में काम करते हैं। मैं काम पर चला गया था, 9 अक्टूबर की रात में करीब 8 बजे घर लौटा और खाना खाकर साे गया। रात करीब 12 बजे दर्द हुआ तो 108 को काॅल किया। जब तक एंबुलेंस आती, बच्चे का जन्म हो गया। इसके बाद बच्चे को देख मेघनगर अस्पताल लेकर गए। इसके बाद वहां से झाबुआ अस्पताल पहुंचे। यहां से उन्होंने एमवाय अस्पताल भेज दिया। जहां डॉक्टरों ने चमत्कार कर दिया। उसने बताया कि उनकी छह साल पहले शादी हुई थी। उनके दो बच्चे हैं। दोनों बच्चों का जन्म अस्पताल में ही हुआ था और दोनों बच्चे स्वस्थ हैं।

ऑपरेशन के बाद बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है।
10 से 20 लाख में किसी एक को होती है ये बीमारी
डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा हेट्रोफोगस बीमारी से ग्रसित था। इसमें दो बच्चे आपस में जुड़ जाते हैं। इसमें एक बच्चा पूरा रहता है, एक आधा-अधूरा रहता है। इस बच्चे में सिर के अलावा करीब-करीब शरीर के पूरे हिस्से थे। बच्चे में नसें और खून की नलियां भी जुड़ी हुई थीं। ऐसे बच्चे की जान को खतरा होता है। 10 से 20 लाख बच्चों में से किसी एक में ऐसे केस सामने आते हैं। एमवाय में पिछले 25 सालों में यह चाैथा ऑपरेशन हैं। ऐसे केस बहुत रेयर देखने को मिलते हैं। इस बच्चे को जितना मुश्किल एनेस्थीसिया देना था, उतना ही मुश्किल सर्जरी थी।

डॉक्टर लाहोटी की टीम ने सफल ऑपरेशन किया।
महिला ने ना जांच करवाई ना ही टीका लगवाया
डॉक्टरों के अनुसार बच्चे का जन्म 9 महीने पूरे होने के बाद घर पर ही हुआ। गर्भवती होने के बाद भी महिला लगातार खेत पर काम करती रही। इस दौरान उसने किसी प्रकार की ना तो दवाई खाई और ना ही कोई जांच करवाई। इतना ही नहीं, उसने कोई टीका भी नहीं लगवाया। 9 अक्टूबर की रात उसे प्रसव पीड़ा हुई करीब दो घंटे बाद उसने घर पर ही विलक्षण बच्चे को जन्म दिया।
इसी बीमारी में दो बच्चे जुड़े रहते हैं
इस बीमारी में दो बच्चे एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। इस जुड़वां बच्चे में एक बच्चा पूर्ण तरह से विकसित और दूसरा बच्चा अधूरा बना हुआ था। पहले बच्चे में हार्ट की जटिल बनावट और नाभि में भी दिक्कत थी। इसके अलावा सभी अंग ठीक से बने थे, पर दूसरे बच्चे के सिर्फ दो हाथ, दो पांव, पेट की आंतें, एक किडनी ही बनी थी। ये दोनों बच्चे एक-दूसरे से जटिल खून की नसों से जुड़े हुए थे। आपरेशन में अविकसित और अपूर्ण पैरासाइट को पूर्ण बच्चे से जटिल ऑपरेशन कर अलग किया गया। आपरेशन के बाद बच्चे को तीसरे दिन मां का दूध शुरू किया गया। अभी बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ है, जिसे अब घर भेजा जा रहा है।
इन्होंने किया ऑपरेशन
शिशु सर्जरी विभाग के डॉ. ब्रिजेश लाहोटी, डॉ. अशोक लड्ढ़ा, डॉ. शशि शंकर शर्मा, डॉ. पूजा तिवारी, रेसिडेंट्स डॉ. शुभम् गोयल, डॉ. तनुज अहीरवाल। वहीं, एनेस्थीसिया डॉ. केके अरोरा, डॉ. पूजा वास्केल ने दिया।