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- Today, Where The Leaders Do Not Even Face Each Other, In The 80s, By Filing Nomination Forms, The Contestants Returned In The Same Rickshaw
भिंड18 घंटे पहले
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परशुराम सिंह
- अटेर से पूर्व विधायक परशुराम सिंह भदौरिया ने पहले और आज के चुनाव की तुलना की
आज के दौर में नेता चुनाव के समय भाषणों में मर्यादा भूलते जा रहे हैं। वहीं 80 के दशक में प्रतिद्वंदी मौका पड़ने पर साथ बैठ जाया करते थे। जी हां हम बात कर रहे हैं वर्ष 1980 में हुए विधानसभा चुनाव की। अटेर से पूर्व विधायक परशुराम सिंह भदौरिया बताते हैं कि वर्ष 1980 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया। भाजपा से उनके प्रतिद्वंदी प्रत्याशी रामकुमार चौधरी थे। दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा। लेकिन जब कलेक्टोरेट वे नामांकन दाखिल कर लौट रहे थे, तभी रामकुमार चौधरी भी उन्हें मिल गए। दोनों एक ही रिक्शे पर बैठकर घर के लिए लौटे। चौधरी का घर सदर बाजार में था तो वे वहीं उतर गए। हमारा घर नबादा बाग में था इसलिए मैं उसी रिक्शे से आगे बढ़ गया। बाद में भदौरिया ने 10 हजार वोट से चौधरी को पराजित किया, जो कि संभाग की सबसे बड़ी जीत थी। वे वर्ष 1985 तक विधायक रहे।
पूर्व विधायक परशुराम सिंह भदौरिया बताते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान कई बार हमारा रामकुमार चौधरी से आमना सामना हुआ। वे मुझसे उम्र में बढ़े थे। इसलिए मैं हमेशा उनके पैर छूता और वे भी बड़ी सादगी से मुझे खुश रहने का आशीर्वाद देते। पूर्व विधायक भदौरिया ने बताया कि आज के समय चुनाव बाहुबल, धनबल और धर्म व जातिवाद का रह गया है। हमारे समय में यह सबकुछ नहीं था। पूरे चुनाव में बमुश्किल 50 हजार रुपए भी खर्च नहीं हुए थे।
तब एक जवान की तैनाती
पूर्व विधायक भदौरिया बताते हैं कि आज के समय चुनाव में मतदान केंद्र की सुरक्षा के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल मंगाया जाता है। हर केंद्र पर सशस्त्र जवान तैनात किए जाते हैं। उसके बाद भी लोग वोट डालने में डरते हैं। जबकि हमारे समय में मतदान केंद्र पर एक पुलिस जवान डंडा लेकर खड़ा हो तो वह भी बड़ी बात होती थी।