When no one listened, he himself built a road of one km long | जब किसी ने नहीं सुनी तो चंदा कर खुद ही बना ली एक किमी लंबी सड़क

When no one listened, he himself built a road of one km long | जब किसी ने नहीं सुनी तो चंदा कर खुद ही बना ली एक किमी लंबी सड़क


भिंडएक घंटा पहले

  • कॉपी लिंक

कारे का पुरा गांव के लाेग राेड बनाने में श्रमदान करते हुए।

  • अटेर क्षेत्र के कारे का पुरा गांव का रास्ता बारिश में हो जाता था बंद, मरीज को चारपाई पर उठाकर ले जाना पड़ता था

हिम्मत और जज्बा हो तो बड़े से बड़ा काम चुटकियों में हो जाता है। कुछ ऐसी हिम्मत जिला मुख्यालय से 16 किमी दूर ग्राम कारे का पुरा गांव में रहने वाले 70 परिवारों ने िदखाई। गांव में आजादी के बाद भी सड़क नहीं बन सकी थी। बारिश के दिनों में गांव में कोई बीमार हो जाता था तो उसे खाट पर लिटाकर ले जाना पड़ता था, क्योंकि गांव में कोई गाड़ी ही नहीं आ पाती थी। सड़क बनवाने के लिए ग्रामीणों ने अफसरों के साथ जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगाई, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। प्रशासन की बेरुखी के बाद गांव के सभी परिवार एकजुट हुए और आपस में डेढ़ लाख रुपए चंदा किया। इसके बाद खुद ही श्रम दान करते हुए एक किमी लंबी डब्ल्यूबीएम (कच्ची सड़क) रोड का बना ली। वहीं सड़क बनाने का काम अभी भी जारी है।

ग्रामीण भानू प्रताप, छोटे सिंह, अवलनाथ,रामकिशोर, सुंदर लाल आदि का कहना है कि गांव में पहुंच मार्ग निर्माण के लिए हम सभी ग्रामीणों के द्वारा कई साल से क्षेत्र के नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों से मांग की जा रही थी। लेकिन जब किसी ने हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया तो हम सभी ग्रामीणों ने आपस में डेढ़ लाख रुपए का चंदा करते हुए खुद की रोड बना ली है, अभी सड़क बनाने का काम 100 से 150 मीटर का शेष रह गया है। उसको भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा। वहीं आने वाले दिनों में अगर प्रशासन द्वारा रोड को पक्का नहीं किया जाता है तो हम रोड को चंदा कर पक्का भी बना लेंगे। इस संबंध में गांव की सरपंच कुसुम मेवाराम जाटव का कहना है कि कारे का पुरा गांव में पहुंच मार्ग बनवाने के लिए मैंने भी अपने स्तर पर कई बार प्रयास किए, लेकिन अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। लेकिन मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि रोड को पक्का कराया जाए।

बारिश में होती थी परेशानी
ग्रामीण मेघसिंह, विजय सिंह जाटव, कैलाश नारायण, विनोद कुमार, अर्जुन सिंह आदि बताते हैं कि गांव में आवागमन के लिए रास्ता नहीं होने से हम ग्रामीणों को खेतों की पगडंडी के माध्यम से भिंड-प्रतापपुरा रोड तक पहुंचना पड़ता था। बारिश में कोई बीमार पड़ जाता तो उसे चार लोग खाट पर लिटाकर भिंड-प्रतापपुरा रोड तक ले जाते थे, इससे काफी परेशानी आती थी। अब रोड बनने से ग्रामीणों की काफी हद तक परेशानी दूर होगी।



Source link