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- Voting Falls By More Than Five Percent On Average In By elections, This Time Due To Corona, It May Decrease
भोपाल18 घंटे पहले
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चुनाव और उपचुनाव का वोटिंग प्रतिशत।
- प्रदेश में 2013 से 2018 के बीच हुए 13 उपचुनावों में मतदान प्रतिशत में गिरावट रही
- कोरोनाकाल में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाना निर्वाचन आयोग के लिए भी बड़ी चुनौती
कोरोनाकाल में हो रहे उपचुनाव में मतदान प्रतिशत घटने की चिंता निर्वाचन आयोग समेत दोनों प्रमुख पार्टियों को सता रही है। वर्ष 2013 के बाद बीते 7 सालों में प्रदेश में हुए उपचुनावों के वोटिंग रुझानों से पता चलता है कि आम चुनाव की तुलना में उपचुनाव में औसतन 5 फीसदी कम वोटिंग होती है।
ऐसे में मौजूदा उपचुनावों में कोरोना के डर से वोटिंग प्रतिशत और ज्यादा गिर सकता है। वर्ष 2013 और 2018 दोनों आम चुनाव की तुलना में प्रदेश में उपचुनावों में मतदान का प्रतिशत कम ही रहा है।
नोटा वोट भी रह जाते हैं आधे
उपचुनावों में नोटा यानी नन ऑफ द एबव का रुझान भी फीका रहता है। पिछले उपचुनावों में मुंगावली को छोड़ दें तो सभी सीटों पर नोटा वोटों की संख्या आम चुनाव की तुलना में आधी से एक चौथाई तक रही है।
चुनाव आयोग भी चिंतित… कोविड सेफ्टी पर कर रहा काम
मप्र के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मोहित बुुंदस का कहना है कि कोरोना काल में चुनाव कराना चुनौतीपूर्ण काम हैं, वोटिंग प्रतिशत गिरने की आशंका तो है, लेकिन मौजूदा उपचुनाव पिछले उपचुनावों से काफी बड़ा और अलग है।
हम स्वीप एक्टिविटी के तहत इस बार पोलिंग स्टेशनाें पर कोविड सेफ्टी पर काम कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि मतदाताओं में यह विश्वास पैदा करें कि वह बूथ पर कोविड से पूरी तरह सेफ रहेगा। जहां तक उपचुनाव में ट्रेंड का सवाल है, इससे कोविड की स्थिति का आकलन कर पाना मुश्किल है। वास्तविक स्थिति तो मतदान वाले दिन ही सामने आएगी।