Anger among the farmers due to the difference in the distribution of compensation, said the government work to give compensation | मुआवजा वितरण में अंतर से किसानों में आक्रोश अफसर ने कहा-मुआवजा देना शासन का काम

Anger among the farmers due to the difference in the distribution of compensation, said the government work to give compensation | मुआवजा वितरण में अंतर से किसानों में आक्रोश अफसर ने कहा-मुआवजा देना शासन का काम


  • Hindi News
  • Local
  • Mp
  • Bhopal
  • Begumganj
  • Anger Among The Farmers Due To The Difference In The Distribution Of Compensation, Said The Government Work To Give Compensation

बेगमगंज19 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
  • डूब प्रभावितों को विशेष पैकेज की जानकारी पर ग्रामीणों ने शुरू किया विरोध

जिले की सीमा पर बनने वाली बीना सिंचाई परियोजना के बांध को लेकर डूब प्रभावितों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। जहां बांध का काम तेजी से शुरू कर दिया गया है वहीं मुआवजे को लेकर मप्र राजपत्र राज्यपाल की ओर से डूब क्षेत्र में आने वाली कृषि भूमी, मकान, कुआ, ट्यूववेल, फलदार वृक्षों के मुआवजे के लिए विशेष पैकेज की स्वीकृति दिए जाने की जानकारी लगते ही डूब क्षेत्र के खासकर किसानों के विरोध के स्वर तेज हो गए है।

विशेष पैकेज में किसानों की क्रय /अर्जित की जाने वाली भूमि का मुआवजा दस लाख रुपए हेक्टेयर दिया गया है। राजपत्र में यह भी बताया गया है कि भूमि का विक्रय पंजीयन कलेक्टर गाइड लाइन से किया जाएगा, शेष राशि अनुदान मानी जाएगी।

ऊंट के मुंह में जीरा के समान है मुआवजा राशि : किसानों का कहना है कि उनकी भूमि वर्तमान में 6 लाख रुपए एकड़ बिक रही है और सरकार उन्हें चार लाख रुपए एकड़ के मुआवजे का विशेष पैकेज दे रही है। पहले अधिकारियों के द्वारा यह बताया गया था कि कलेक्टर रेट से दो गुनी राशि दी जाएगी अब कहा जा रहा है कि कलेक्टर रेट से जो अधिक राशि होगी वह अनुदान माना जाएगा।

जल संसाधन विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन के द्वारा प्रस्तावित पत्र में जो मुआवजा दिया है वह किसान के लिए ऊंट के मुंह में जीरा के समान है।

यह मिलेगा मुआवजा : अर्जित की जाने वाली कृषि भूमि का मुआवजा
यदि अर्जित या क्रय की जाने वाली भूमि में कुआं है तो दो लाख रुपए प्रति कुआ, ट्यूबवेल होने पर एक लाख प्रति ट्यूववेल, फलदार वृक्षों का बगीचा होने की दशा में उपरोक्त के अलावा 3 लाख प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा दिया जाएगा। नदी नाले से सिंचित भूमि का सिंचित नहीं माना गया है।

धार्मिक स्थलों के लिए नहीं कोई प्रावधानः

डूब प्रभावित क्षेत्रों में सभी धर्मों के पूजा व इबादत के स्थल भी प्रभावित हो रहे है जिनके लिए राजपत्र में कोई भी प्रावधान नहीं दिया गया है। किसान नेता कुबेर सिंह, शिकारपुर के किसान राजेश यादव, सेमरा मेढ़ा के अमजद हसन, कुलदीप यादव, ककरूआ के इस्माइल खान, सुमेर के भगवानदास सोलंकी आदि का कहना है कि उनकी सूखी जमीन करीब 6 लाख रुपए और पानी वाली जमीन 7-8 लाख रुपए के हिसाब से बिक रही थी।

और सरकार सूखी का चार लाख और सिंचित का 5-6 लाख रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दे रही है जो हमें अमान्य है। पूर्व में अधिकारियों के साथ हुई बैठक में भी इसे हम न मंजूर कर चुके है। नदी नाले से सिंचित भूमि को भी सिंचित नहीं माना जा रहा है।

मुआवजा के लिए हाईकोर्ट जाएंगे: किसान संघर्ष समिति
किसान संघर्ष समिति अध्यक्ष कुबेर सिंह, माधोसिंह आदि का कहना है कि जब तक शासन उचित मुआवजा नहीं देती तब तक न तो चकरपुर के किसान और न ही मढ़िया बांध के प्रभावित लोग अपनी जमीन का अधिग्रहण नहीं होने देगें। इसके लिए शीघ्र ही हाईकोर्ट कर दरवाजा खटखटाएगें।

शासन का काम है मुआवजा वितरण
मुआवजा देना शासन का कार्य है। राजपत्र मप्र के राज्य पाल के नाम से प्रीती मैथिल नायक, कलेक्टर एवं पदेन उप सचिव द्वारा दिसम्बर 19 में ही जारी कर दिया गया है। कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से ही भूमि अर्जित की जाएगी।
आलोक कुमार खरे,एसडीओ



Source link