नरसिंहगढ़9 घंटे पहले
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चल समारोह शुरू होने के पहले भगवान को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
दशहरे का त्योहार सोमवार को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर पारंपरिक तरीके से दोपहर 3 बजे किले की पहाड़ी पर स्थित श्री रघुनाथजी मंदिर में भगवान रघुनाथ जी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
इस दौरान एसडीएम अमन वैष्णव, एसडीओपी भारतेंदु शर्मा, टीआई रविंद्र चावरिया और नपा सीएमओ संतोष कुमार पाराशर के साथ नपा, राजस्व और पुलिस विभाग के कर्मचारी मौजूद थे। गार्ड ऑफ ऑनर की यह परंपरा 300 वर्षों से भी पुरानी है। नरसिंहगढ़ रियासत के तत्कालीन उमठ-परमार राजवंश ने नगर स्थापना के साथ ही भगवान रघुनाथ जी के मंदिर की प्रतिष्ठा की थी और सदैव भगवान रघुनाथ जी को नरसिंहगढ़ का शासक माना और उनके प्रतिनिधि के रूप में राजाओं ने शासन किया। स्वतंत्रता के पहले गार्ड ऑफ ऑनर रियासत की ओर से दिलवाया जाता था। वर्तमान में यह स्थानीय प्रशासन की ओर से किया जाता है।
आरती के बाद बिना अखाड़ों के निकला चल समारोह
रघुनाथजी मंदिर के पुजारी मुखिया पंडित विनोद कुमार मेहता ने गार्ड ऑफ ऑनर के बाद भगवान की आरती उतारी और सांकेतिक रूप से पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों ने विमान को सबसे पहले हाथ लगाया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने विमान को उठाकर घाटी के रास्ते से नीचे उतर कर रथ में प्रतिष्ठित किया। बैंड बाजे पर श्री राम आरती की धुन के साथ चल समारोह शुरू हुआ। कोविड-19 के प्रोटोकॉल की वजह से इस बार चल समारोह में अखाड़ों का प्रदर्शन नहीं किया गया। इस मौके पर हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक मोहन शर्मा सहित अन्य श्रद्धालु चल समारोह में शामिल थे।
50 फीट के रावण का दहन
चल समारोह बड़ा बाजार, रावजी का चौक, सूरजपोल, सिविल मेहताब अस्पताल, अर्जुन गोशाला से होता हुआ मेले वाले बाग में पहुंचा। जहां रावण दहन के लिए सभी प्रतीक्षा कर रहे थे। पहले राघौगढ़ के आतिशबाज की बनाई हुई आतिशबाजियों का प्रदर्शन किया गया। इसके बाद पारंपरिक रूप से भगवान रघुनाथ जी के विमान को रावण दहन स्थल पर पहुंचा कर भगवान की प्रतिमा से तीर का स्पर्श करा कर रामलीला के राम बने पात्र ने रावण की नाभि में वार किया। नगरपालिका ने 50 फीट ऊंचे रावण का पुतला बनवाया था।