Seed treatment is necessary to protect the gram from crop grown in Rabi season | रबी सीजन में चना फसल पर उखठा रोग से बचाने के लिए बीजोपचार जरूरी

Seed treatment is necessary to protect the gram from crop grown in Rabi season | रबी सीजन में चना फसल पर उखठा रोग से बचाने के लिए बीजोपचार जरूरी


खंडवा5 घंटे पहले

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ठंड का असर बढ़ते ही चने की बोवनी शुरू हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में चना फसल पर उखठा रोग नजर आया है। इसे फसल सूखने लगती है। इससे बचाव के लिए बोवनी से पहले बीज उपचार करने की सलाह कृषि विभाग ने किसानों को दी है। कृषि उप संचालक मनोहरसिंह देवके ने बताया चना फसल की बोवनी शुरू हो गई है। इस फसल की मुख्य बीमारी उखठा रोग है। इससे खड़ी फसल अचानक सूखने लगती है। इस रोग से बचाने के लिए बीज का उपचार करके ही बोवनी करें। इसके लिए बीज की अच्छी किस्म और सही मात्रा जरूरी है। किसान बड़े दाने वाली प्रजाति काबुली चना बीज 80-85 किलो प्रति हेक्टेयर और छोटे दाने वाली प्रजाति काबुली बीज का 60-65 किलो प्रति हेक्टेयर में बोवनी कर सकते हैं। बीज की जैविक विधि से उपचार के लिए ट्रायकोडर्मा विरडी की 5 ग्राम मात्रा एक किलो बीज के लिए पर्याप्त होती है। रासायनिक बीजोपचार में चना फसल में उखठा (विल्ट) और जड़ गलन से बचाव के लिए 2.5 ग्राम थायरम, एक ग्राम कार्बेन्डिजम, दो ग्राम थायरम और कार्बेन्डिजम के मिश्रण के हिसाब से किसी एक का उपयोग प्रति किलो बीज पर कर सकते हैं।



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