Maa Narmada will be worshiped today as a symbolic event in Bhedaghat | भेड़ाघाट में प्रतीकात्मक आयोजन के रूप में आज होगा माँ नर्मदा का पूजन

Maa Narmada will be worshiped today as a symbolic event in Bhedaghat | भेड़ाघाट में प्रतीकात्मक आयोजन के रूप में आज होगा माँ नर्मदा का पूजन


जबलपुर9 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

कोविड-19 संक्रमण से बचाव एवं वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए इस वर्ष नर्मदा महोत्सव प्रतीकात्मक रूप से मनाया जायेगा। इसके तहत गुरुवार को प्रात: 11:30 बजे से माँ नर्मदा पूजन भेड़ाघाट, धुआँधार के समीप किया जायेगा। पूरे महाकौशल की सांस्कृतिक पहचान बन चुका नर्मदा महोत्सव इस वर्ष कोराेना महामारी के चलते रद्द कर दिया गया है। यह जानकारी सांसद राकेश सिंह ने देते हुए बताया कि विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भेड़ाघाट में प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा के अवसर पर होने वाला नर्मदा महोत्सव वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से इस वर्ष आयोजित नहीं हो सकेगा। श्री सिंह ने कहा कि मुझे पूर्ण आशा है कि माँ नर्मदा के आशीर्वाद से अगले वर्ष हम नर्मदा महोत्सव का भव्य आयोजन करेंगे और अपनी सांस्कृतिक पहचान को कायम रखेंगे।

शरद पूर्णिमा पर्व पर बन रहा सर्वार्थ सिद्धि और लक्ष्मी योग
अश्विन मास की शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान शरद पूर्णिमा पर ही देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए इसे लक्ष्मीजी के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन माँ लक्ष्मी की विशेष पूजा भी की जाती है। इस बार शुक्रवार को शरद पूर्णिमा का योग बन रहा है। पं. रोहित दुबे का कहना है कि 7 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है। अब 13 साल बाद यानी 7 अक्टूबर 2033 को यह संयोग बनेगा। शुक्रवार को पूर्णिमा के होने से इसका शुभ फल और बढ़ जाएगा। साथ ही इस बार शरद पूर्णिमा का चंद्रोदय सर्वार्थ सिद्धि और लक्ष्मी योग में हो रहा है, जिससे इस दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व रहेगा।

30 को शरद पूर्णिमा, 31 को व्रत और स्नान-दान
पं. वासुदेव शास्त्री ने बताया कि अश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 30 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 31 अक्टूबर को रात 8 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इसलिए शुक्रवार की रात को शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि अगले दिन यानी 31 अक्टूबर को पूरे दिन रहेगी और रात को करीब 8 बजे खत्म हो जाएगी। इसलिए शनिवार को पूर्णिमा व्रत, पूजा, तीर्थ स्नान और दान किया जाना चाहिए।

श्री कृष्ण का महारास और लक्ष्मीजी का प्राकट्य
इसी दिन श्री कृष्ण महारास करते हैं। यह एक यौगिक क्रिया है। इसमें भगवान कृष्ण की ही शक्ति के अंश गोपिकाओं के रूप में घूमते हुए एक जगह इकट्ठा होते हैं। चंद्रमा की रोशनी के जरिए प्रकृति में ऊर्जा फैलाने के लिए ऐसा होता है। देवी भागवत महापुराण में महारास के बारे में बताया गया है। लक्ष्मी का प्राकट्य दिवस इसलिए कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन हो रहा था तब अश्विन महीने की पूर्णिमा पर मंथन से महालक्ष्मी प्रकट हुईं। इस दिन लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है और कौमुदी व्रत रखा जाता है।

औषधीय महत्व
पं. राजकुमार शर्मा शास्त्री ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से अमृत बरसाता है। इस रात में औषधियाँ चंद्रमा की रोशनी के जरिए तेजी से खुद में अमृत सोखतीं हैं। इसलिए इस दिन चंद्रमा के प्रभाव वाली चीज यानी दूध से खीर बनाई जाती है और चाँदी के बर्तन में चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है। ऐसा करने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं। माना जाता है कि उस खीर को खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे कई तरह की बीमारियों से राहत मिलती है।



Source link