इंदौर9 मिनट पहले
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नरेंद्र रघुवंशी ने चार दिन पहले फांसी लगकर जान दे दी थी।
- परिवार वालों ने वकील से सुसाइड नोट लिया, पत्र में लिखा सब बेगुनाह हैं, मायहोम में कुछ गलत नहीं होता था
जीतू सोनी के करीबी रहे नरेंद्र रघुवंशी की आत्महत्या में नया खुलासा हुआ है। रघुवंशी ने अपने घर पर छोड़े सुसाइड नोट के अलावा कोर्ट, मानव अधिकार आयोग, वकीलों सहित 6-7 लोगों को पांच पेज की चिट्ठी भेजी थी, जिसमें खुद को बेगुनाह बताया था। इसमें लिखा था कि तत्कालीन सरकार के दबाव में डीआईजी ने उस पर कार्रवाई की, जबकि वह न तो होटल का मैनेजर था न सोनी का पार्टनर। केवल उससे दोस्ती के कारण झूठे केस बनाए गए। उसने जो चिटि्ठयां भेजी थीं, उन्हें परिवार ने वकील विवेक सिंह से हासिल किया है।
सुदामा नगर में रहने वाले नरेंद्र रघुवंशी की आत्महत्या के बाद शनिवार को उनका दूसरा सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। पांच पन्नों के सुसाइड नोट हाई कोर्ट के जज, मानव अधिकार आयोग, महिला आयोग व प्रदेश के चीफ जस्टिस, सीएम हाउस व सुप्रीम कोर्ट के नाम भेजा है। रघुवंशी के सुसाइड के बाद परिवारजनों ने उसकी एक दिन पहले की दिनभर की दिनचर्या जानी तो ड्राइवर ने बताया कि उसने कोरियर कंपनी से 6 जगह लेटर पोस्ट किए थे। बाद में परिवार वालों ने इसकी एक कॉपी अपने वकील विवेक सिंह से प्राप्त की है।
पत्र में रघुवंशी ने लिखा कि हनीट्रैप मामले में उलझे भोपाल के वल्लभ भवन में बैठे अधिकारियों के बारे में कई बातें अखबार ने लिखी थी। उसी का बदला लेने के लिए कार्रवाई हुई है। सब बेगुनाह हैं। वहां नाच गाना होता था, लेकिन कोई गलत काम नहीं होता था। कई लड़कियां कोलकाता से लाई गई थीं। वे दो-तीन महीने में फ्लाइट से घऱ जाती थीं। उन्हें तनख्वाह मिलती थी। संगीत से जुड़े लोग भी इंदौर आए थे। यदि माय होम पर गड़बड़ होती तो वे कहीं ना कहीं तो शिकायत दर्ज करवाते। जीतू सोनी के परिवार को भी बिना वजह उलझाया है। रघुवंशी ने यह भी लिखा कि मरता हुआ आदमी कभी झूठ नहीं बोलता इंदौर में इस केस में 102 परिवारों को फर्जी रूप से फंसाया है। इस केस की उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच कराई जाना चाहिए।