सुसनेर13 मिनट पहले
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तिथि मतभेद के बीच आज शनिवार को शरद पूर्णिमा मनाई जएगी। इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होकर अमृत की वर्षा करता है। मठ मंदिरों में विशेष पूजन अनुष्ठान की तैयारी है। वहीं रात को खुले आसमान के नीचे खीर भी रखी जाएगी ताकि आसमान से बरसने वाला ओस रूपी अमृत इसमें इकठ्ठा हो सके।
यह खीर भक्तों को प्रसाद के रूप में बांटी जाती है। मान्यता के है कि शरद पूर्णिमा के दिन आसमान से अमृत बरसता है।
पंडित गोविंद शर्मा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को 16 कलाओं का स्वामी कहा गया है तो राम को 12 कलाओं का। इसकी अलग अलग व्याख्या मिलती है। कुछ की राय में भगवान राम सूर्यवंशी थे तो उनमें बारह कलाएं थीं। श्रीकृष्ण चंद्रवंशी थे तो उनमें सोलह कलाएं थी। चांद को लेकर जितनी भी उपमाएं दी जाती हैं, वह सभी शरद पूर्णिमा पर केंद्रित है।
जिन सोलह कलाओं के बारे में कहा जाता है वह अमृत, मनदा (विचार), पुष्प (सौंदर्य), पुष्टि (स्वस्थता), तुष्टि( इच्छापूर्ति), ध्रुति (विद्या), शाशनी (तेज), चंद्रिका (शांति), कांति (कीर्ति), ज्योत्सना (प्रकाश), श्री (धन), प्रीति (प्रेम), अंगदा (स्थायित्व), पूर्ण (पूर्णता अर्थात कर्मशीलता) और पूर्णामृत (सुख) है।
इसलिए खीर बनाते हैं
खीर दूध से बनी होती है और दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है। चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है। शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा से निकलने वाली किरणों में सभी रोगों की दवा होती है इसलिए खीर बनाकर खाई जाती है।
पंडित शर्मा के अनुसार जन्माअष्टमी, नवमी, विजयादशमी के बाद अब शरद पूर्णिमा की तिथि पर भी मतभेद है। पंचांग के अनुसार अमावस्या 1 को होगी। लिहाजा पूर्णिमा 31 अक्टूबर को मनाई जा रही है।