भोपाल5 मिनट पहले
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प्रतीकात्मक फोटो।
- प्रदेशभर के नगर निगम व नगर पालिका आयुक्तों ने एबीपीएएस सिस्टम पर उठाए सवाल
- तकनीकी दिक्कतों की वजह से महीनों मंजूर नहीं हो रहे नक्शे
प्रदेश के नगर निगम, नगर पालिका व नगर परिषदों में भवन निर्माण के लिए करोड़ों की लागत से तैयार ऑनलाइन बिल्डिंग परमिशन (एबीपीएएस) सॉफ्टवेयर में खामियों के चलते अब नगरीय निकाय आयुक्तों ने आपत्ति उठाई है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को ज्यादातर आयुक्तों ने ऑनलाइन सिस्टम की तकनीकी दिक्कतों को महीनों तक नक्शे मंजूर नहीं होने का जिम्मेदार ठहराया है।
साफ लिखा है कि जब तक एबीपीएएस की खामियों में सुधार नहीं किया जाएगा, तब तक नक्शों की मंजूरी समय सीमा में होना नामुमकिन ही रहेगा। इतनी बड़ी विसंगति है कि कमर्शियल पार्किंग पर मार्जिन ओपन स्पेस (एमओएस) की जगह पार्किंग को मंजूरी मिल जाती है।
नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव ने भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर समेत प्रमुख नगर निगमों को कड़ा पत्र लिखा है। इसमें बिल्डिंग परमिशन में होने वाली देरी के चलते कार्रवाई के लिए चेताया है। इसके चलते नगरीय निकाय आयुक्तों ने सॉफ्टवेयर पर सवाल उठाया है। सभी बड़ी निगमों के आयुक्तों ने ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में सुधार के लिए पत्र लिखे हैं। इसमें बिंदुवार खामियां तक भेज दी है।
नक्शे और फाइल चैक होने में ही लग जाते हैं 20 दिन
ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में डीसीआर सेल में नक्शे चैक होने में 9 दिन का समय लगता है। यदि सिस्टम ने नक्शे में कमी दिखाई तो दोबारा फाइल चैक होने में 9 दिन लग जाएंगे। इसके बाद मंजूरी का समय अलग है। सिस्टम में अवैध निर्माण पर कंपाउंडिंग के लिए कोई प्रावधान नहीं है। कमर्शियल बिल्डिंग में सॉफ्टवेयर एमओएस की जगह पार्किंग मंजूर कर देता है, जबकि इससे बड़ी विसंगति की स्थिति बन रही है।
नगर निगम आयुक्तों ने बताईं ऐसी खामियां
- नक्शे पर संबंधित तकनीकी अधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर नहीं होते है।
- बिल्डिंग परमिशन के स्वीकृति पत्र में नगर निगम, नगर पालिका व नगर परिषद का एक प्रारूप है। निगम की धाराएं है, जिनका संशोधन जरूरी है।
- डीसीआर में नक्शे की वर्किंग ड्राइंग नहीं होती है। नक्शे में संशोधन और प्रस्तावित सुधार का प्रावधान नहीं है।
- बिल्डिंग परमिशन के नवीनीकरण के लिए प्रावधान नहीं किया गया है।
- अगर पहले ऑफलाइन नक्शा मंजूर हो चुका है, तो उसे ऑनलाइन नवीनीकरण करने का प्रावधान नहीं है।
- ग्राउंड फ्लोर निर्मित भवन की स्वीकृति के ऊपर पहली, दूसरी और तीसरी मंजिल की मंजूरी का प्रावधान नहीं है।
- बिल्डिंग परमिशन के इस्टिमेट करने का चैक पाॅइंट वर्गफीट के हिसाब से नहीं है।
- भवन निर्माण पूरा होने के बाद उसके उपयोग की स्वीकृति ऑनलाइन सिस्टम नहीं देता है।
- भवन का काम पूरा होने पर कंप्लीशन की सूचना देने का ऑनलाइन में प्रावधान नहीं है।
- नए भवन के निर्माण में कंपाउंडिंग के लिए एमओएस व एफएआर का सिस्टम नहीं।
- भवन में अवैध निर्माण पर कंपाउंडिंग के लिए 10% तय है। इससे ज्यादा होने पर आदेश या कोई नीति नहीं बनी है।