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- Jyotiraditya Scindia | Madhya Pradesh By Election 2020; Shivraj Singh Chouhan, Jyotiraditya Scindia And His 14 Ministers
भोपाल20 मिनट पहले
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव प्रचार के दौरान 90 से अधिक सभाएं कीं। इतना ही नहीं सबसे ज्यादा मंत्रियों के क्षेत्रों में लोगों को संबोधित किया। दो दिन पहले डबरा की एक सभा के दौरान इमरती देवी के लिए शिवराज हाथ उठाकर लोगों से वोट मांगते हुए।
- वर्ष 2013 में 10 और 2018 में 13 मंत्रियों को वोटरों ने नापंसद कर दिया था
- कांग्रेस में रहते हुए मिले वोटों के अंतर को साधना सबसे बड़ी चुनौती रहेगी
मध्यप्रदेश विधानसभा के 28 उपचुनावों के प्रचार का शोर-शराबा थमने के बाद अब उम्मीदवार डोर-टू-डोर प्रचार में जुट गए हैं। मतदान के लिए कुछ घंटे ही शेष रह गए है। इन उपचुनावों में शिवराज सिंह चौहान सरकार के 14 मंत्रियों के भाग्य का भी फैसला 3 नवंबर को ईवीएम में बंद हो जाएगा। हालांकि इनमें से दो मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन वे मंत्री की हैसियत से ही चुनाव लड़ रहे हैं।
चुनावों में मंत्रियों के हारने के सिलसिला को देखते हुए इस बार इनकी किस्मत के साथ भविष्य दांव पर लगा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इनमें से कितनी मंत्री अपनी कुर्सी बचा सकते हैं, क्योंकि अधिकांश स्थानों पर इन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है। इसमें विपक्षी उम्मीदवार ही नहीं बल्कि दल बदलने के कारण पार्टी के स्तर पर भी मुकाबला करना पड़ रहा है।
पिछले दो चुनाव में 23 मंत्री हार चुके
पिछले दो विधानसभा चुनाव का रिकॉर्ड देखें, तो शिवराज सरकार के 23 मंत्रियों को जनता ने घर बैठा दिया था। वर्ष 2013 में 10 और 2018 में 13 मंत्री विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाए। इस बार 3 नवंबर 2020 को होने वाले चुनाव में 14 मंत्रियों की साख दांव पर लगी है। इसमें से 11 पर तो भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर है, क्योंकि यह उनके कहने पर ही पार्टी बदलकर भाजपा में आए हैं।
इन पर सबकी नजर
तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभु राम चौधरी, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गिर्राज दंडोतिया, ओपीएस भदौरिया, सुरेश धाकड़, बृजेंद्र सिंह यादव, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, ऐदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह और हरदीप सिंह डंग पर सबकी नजर रहेगी। हालांकि यह अपने बयानों को लेकर भी विवादों में रह चुके हैं।
वोटों का गणित साधने की कोशिश
कांग्रेस से भाजपा में गए 25 पूर्व विधायकों के सामने फिर से विधायक बनने के रास्ते में सबसे बड़ी चुनौती खुद को मिले वोटों के अंतर को पाटना है, जो उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में भाजपा उम्मीदवारों से अधिक मिले थे। इस मामले में सबसे कम चुनौती उन पूर्व विधायकों के सामने हैं, जो 2000 से कम मतों से जीते थे। इनमें मंत्री हरदीप सिंह डंग की जीत सबसे छोटी थी और वह 350 मतों से जीते थे। उसके बाद मांधाता के नारायण पटेल 1236 और नेपानगर की सुमित्रा देवी 1256 मतों से जीती थी।
सबसे बड़ी जीत दर्ज कराने वालों में डबरा से बतौर कांग्रेस उम्मीदवार इमरती देवी 57466 तथा बदनावर से राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव 41506 वोटों से जीते थे। इसी प्रकार अन्य पूर्व विधायक भी जो भारी मतों से जीते थे, उनके सामने मतों के अंतर को पाटना और उसके बाद उस पर बढ़त लेना होगा तब ही उनके फिर विधायक बनने के अरमान पूरे हो सकेंगे।