देवास21 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
- जनता के साथ निगम भी उतना ही जिम्मेदार
- बजट की कमी का हवाला देकर क्यों रोक दी जाती है शहर विकास की योजना? जवाब
(जाहिद खान). निगम क्षेत्र में बने मकान, दुकान, उद्याेग और भूखंडों का संपत्तिकर लाेगाें पर 65 कराेड़ 54 लाख 76 हजार 525 रु. तक का बकाया है, जिसे वसूलने के लिए निगम संपत्तिकर विभाग की टीम सभी प्रकार के प्रयास कर रही, फिर भी वसूली से काफी दूर हैं। अगर संपत्तिकर की वसूली शत-प्रतिशत हाे जाए ताे शहर के कैलादेवी से देवास-भाेपाल बायपास तक बनने वाला एमआर, मेंढकी से बीराखेड़ी, देवास बायापस से देवीकुलम काॅलाेनी, संत रविदास नगर से हाेकर एबी राेड क्रास कर उज्जैन बायपास तक एमआर राेड बन जाए। इसके अलावा रिंग राेड का काम भी पूरा हाेने पर उज्जैन राेड नागुखेड़ी से सीधा इंदाैर राेड से मिल जाए।
निगम के रिकाॅर्ड में कुल बकाया संपत्तिकर 72 कराेड़ 52 लाखा 94 हजार 15 रु. दर्ज है, जिसमें से मात्र 6 कराेड़ 50 लाख 52 हजार 890 रु. जमा हाे सके हैं। अभी भी 65 कराेड़ से अधिक की राशि जमा करवाना है, जिसे वसूलने के लिए तमाम जतन किए जा रहे हैं। नगर निगम संपत्तिकर विभाग ने वर्ष 2020-21 में शहरवासियाें से 25 कराेड़ रु. तक संपत्तिकर वसूलने का टाॅरगेट तय किया है।
सर्वे में खुली थी पोल: 25 फीसदी लोग भी जमा नहीं करते
संपत्तिकर विभाग के अनुसार वर्ष 2008-09 में निजी कंपनी ने शहर का सर्वे किया था। कंपनी कर्मचारियाें ने एक मकान में रहने वाले 4-4 किरायेदाराें के भी खाते बना दिए थे। सर्वे के बाद कराेड़ाें में संपत्तिकर बकाया सामने आया, जाे 11 साल बाद भी 25% तक भी जमा नहीं हाे सका। इसके बाद बंगाल की कंपनी ने 2012-13 में सर्वे शुरू किया पर अधूरा छाेड़ गई। अब बाहर की कंपनी संपत्तियाें का सर्वे सैटेलाइट से करेगी और जो बकाया राशि का आंकड़ा आएगा वही सही होगा।
गाेल खाताें की वजह से भी नहीं हाे पा रही वसूली
कई संपत्तियां ऐसी हैं, जाे गाेल खाते में हाेने से भाई-भाई संपत्तिकर भरना नहीं चाहते हैं। इस समय काेराेना काल भी चल रहा है, जिसमें कई लाेगाें के सामने आर्थिक परेशानी खड़ी हाे गई है। टीम वसूली करने के लिए जाती है ताे लाेग राेजगार नहीं हाेने की बात करते, जिससे भी वसूली में तेजी नहीं अा पा रही है। विभाग ये मजबूरी बता रहा है लेकिन सही मायनों में ये वसूली नहीं कर पाने का अफसरों का बहाना है।
काेराेना काल में सरचार्ज पर निगम दे रही रियायत
निगम आयुक्त विशालसिंह चाैहान के अनुसार काेराेना काल में विशेष छूट दे रखी है। किसी बकायादार का 10 हजार तक बकाया संपत्तिकर है, उसे 100 फीसदी सरचार्ज में छूट मिलेगी। 10 हजार से लेकर 1 लाख तक बकायादराें काे 50 फीसदी और 1 से 10 लाख तक के बकायादाराें काे 25 फीसदी तक मिलेगी छूट। राज्य शासन जल्द ही साफ्टवेयर अपडेट कर रही है, जिसमें बकायादाराें काे 5 गुना पेनल्टी के साथ राशि जमा करना पड़ेगी।
कर जमा नहीं किया तो नीलाम भी हो सकती है संपत्ति
संपत्तिकर बकाया खातेदाराें काे विभाग सबसे पहले बिल देता है, जाे 15 दिन में भरना हाेता है। इस समयावधि में भी बिल जमा नहीं करने पर धारा 174 के तहत मांग पत्र सहित बिल दिया जाता, जिसमें 30 दिन में बिल जमा करना हाेता है। इसके बाद भी बिल जमा नहीं करने पर खातेदार काे धारा 175 के शक्ति पत्र दिया जाता, जिसमें 7 दिन में बिल जमा करना हाेता है।
फिर भी खातेदार बिल जमा नहीं करता ताे कुर्की की कार्रवाई शुरू हाेती अाैर अाखरी में संपत्ति नीलाम कर वसूली की जाती है। बताया जाता है कि हर माह नगर निगम काे अधिकारी-कर्मचारियाें की सेलरी बांटने के लिए पैसा नहीं हाेने से दिक्कतें आती हैं। निगम प्रतिमाह 3 कराेड़ 50 लाख से ज्यादा सेलरी बंटता है, अगर 65 कराेड़ की वसूली हाे जाए ताे 19 माह तक सेलरी बांटने में परेशानी नहीं हाे।