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- Sold Five Acres Of Book Land, Thought If Son Becomes A Big Doctor Then I Will Fulfill All The Aspirations Of Life
जबलपुर21 मिनट पहले
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23 सितम्बर को एक साथ परिवार ने मनाई थी खुशी
- जबलपुर मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्र भागवत देवांगन की मौत से आहत परिजनों का छलका दर्द
- परिजन ने बेटे की पढ़ाई के लिए पांच एकड़ पुश्तैनी जमीन बेची, सोचा था बड़ा डॉक्टर बन गया तो जिंदगी के सारे अरमान पूरे हो जाएंगे
जबलपुर मेडिकल कॉलेज के भागवत देवांगन की मौत के मामले में परिवार न्याय की उम्मीद लगाए बैठा है। अपनी पुश्तैनी पांच एकड़ जमीन तक बेचकर परिवार बेटे की पढ़ाई पूरी होने की राह देख रहा था लेकिन इससे पहले ही पांच सीनियर की प्रताड़ना से तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली। परिवार ने किस तरह संघर्ष कर बेटे को पढ़ाया और अब उसकी मौत के लिए दोषियों को सजा दिलाने को लेकर मन में कितना गहरा आक्रोश है, वह चर्चा में सामने आया।
पीजी के छात्र भागवत देवांगन (26) की आत्महत्या ने परिवार के सपनों का भी गला घोट दिया। पांच सीनियर्स छात्रों के खिलाफ एक महीने बाद दर्ज हुई एफआईआर की बात सुनकर परिवार का दर्द छलक आया। दैनिक भास्कर से अपने दर्द को साझा करते हुए पिता अमृत लाल ने बताया कि मेरी माली हालत बहुत अच्छी नहीं है। 6 बच्चों में दूसरे नम्बर के भागवत का बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना था। पूरे परिवार ने उसके सपनों को पूरा करने में खुद की जरूरतों और ख्वाहिशों का गला घोट दिया था। पांच एकड़ की पुस्तैनी जमीन तक बिक गई। सोचा था कि बेटा डॉक्टर बन गया तो परिवार की सारी तकलीफें दूर कर देगा। जिंदगी के सारे अरमान पूरे कर लूंगा।
ऐसी ही दशा मां गीता देवांगन की भी है। उन्होंने कांपते स्वर में बताया कि मैंने कलेजे पर पत्थर रख लिया था। 10 वर्ष की उम्र में वह नवोदय स्कूल में पढ़ने चला गया था। 12वीं के बाद भिलाई में रहकर पीएमटी की कोचिंग की। पहले ही प्रयास में उसे पुणे स्थित मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिल गया। एमबीबीएस पास करने के बाद उसका सपना आर्थो सर्जन बनने का था। पीजी प्रवेश परीक्षा में उसे मेडिसिन अलॉट हुआ, तो उसने छोड़ दिया। पुणे में ही रहकर एक वर्ष फिर कोचिंग की। दूसरे प्रयास में जबलपुर मेडिकल कॉलेज में आर्थो से पीजी करने का मौका मिला था।

भागवत देवांगन की जीवित अवस्था की फाइल फोटो
जबलपुर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलने पर था खुश
बड़े भाई प्रहलाद ने बताया कि घर से जबलपुर की दूरी 400 किमी है। नजदीक का शहर मिलने पर वह बहुत खुश था। ये शहर जाना-पहचाना था। एक जुलाई को ही उसे प्रवेश मिला था। मैं और मझला देवी देवांगन पिता के साथ बर्तन दुकान में मदद करते हैं। छोटे भाई काली को भी भागवत मेडिकल लाइन में ही पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करता रहता था, लेकिन उसके जाने के बाद सब कुछ समाप्त हो गया। पांचों दोषी सीनियर्स पीजी छात्रों को सजा मिले, तभी उसकी आत्मा को शांति मिलेगी।
23 सितम्बर को एक साथ परिवार ने मनाई थी खुशी
सितम्बर में ही भागवत देवागंन ने प्रताड़ना के चलते अधिक मात्रा में दवाओं का सेवन कर लिया था। ठीक होने पर वह छुट्टी लेकर घर चला गया था। 23 सितम्बर को भतीजी अनमोल के जन्मदिन पर परिवार के लोगों ने एक साथ मिलकर खुशी मनाई थी। 25 सितम्बर को भागवत फिर से जबलपुर चला गया। फिर एक अक्टूबर को उसकी मौत की खबर मिली।
ये है पूरा मामला
जबलपुर मेडिकल कॉलेज में आर्थो पीजी 2020 के प्रथम वर्ष के छात्र भागवत देवांगन एक अक्टूबर को हास्टल नम्बर तीन में फांसी के फंदे से झूल गया था। अगले दिन जबलपुर पहुंचे जांजगीर चंपा के रहौद निवासी भाई प्रहलाद ने गढ़ा व मेडिकल प्रशासन को मामले में शिकायत दी। शिकायत में पांच सीनियर्स छात्र विकास द्विवेदी, अमन गौतम, सलमान खान, शुभम शिंदे, अभिषेक गेमे पर प्रताड़ना का आरोप लगाया। एक महीने बाद गढ़ा पुलिस ने तीन नवम्बर की देर रात 306, 34 भादंवि का प्रकरण दर्ज किया। परिजन का कहना है बेटे की मौत के दोषियों पर सख्त कार्रवाई होना चाहिए।