पिपरिया20 घंटे पहले
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पचमढ़ी की दुर्गम पहाड़ियों में बसी नांदिया ग्राम पंचायत और उससे जुड़े ग्राम होशंगाबाद जिले में आते हैं। यहां जाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को भी छिंदवाड़ा जिले से होकर जाना होता है।
मटकुली से 30 किलोमीटर छिंदवाड़ा जिले मे कुंआबादला से अंदर 11 किलोमीटर के बाद यह रास्ता है। दूसरा रास्ता पचमढ़ी में चौरागढ़ पहाड़ियों से होकर जाता है। नांदिया क्षेत्र के लोगों के लिए छिंदवाड़ा जिले में आवागमन ज्यादा सुलभ है, लेकिन शासकीय याेजनाओं का लाभ लेने के लिए उन्हें पिपरिया आना होता है।
ग्राम साकरी के पेचूराम ने बताया कि अगर कभी शहर आना हो तो उसके लिए हमें तीन पहाड़ियां पार करना होता है। उसके बाद चार पहिया वाहन वाला 30 रुपया किराया लेकर पास के गांव छोड़ता है। गांव में अगर कोई बीमार हो जाए तो जामनडोंगा में इलाज के लिए जाना पड़ता है। इसमें समय और रुपए दोनों ज्यादा लगता है।
महिला सियाबाई ने बताया उसके पास जो जमीन है उसमें तीन बोरा गेहूं निकलता है। चने में अगर इल्ली ना निकले तो चना भी एक बोरा के आसपास निकल आता है। यहां रोजगार के और दूसरे साधन नहीं हैं। इसलिए मजदूरी करने जाना पड़ता है।
पचमढ़ी जाते हैं काम की तलाश में
इस छोटे से गांव के लोग मजदूरी करने के लिए तीन पहाड़ियां पार कर पचमढ़ी जाते हैं। सुबह 7 बजे घर से निकले आदिवासियों का यह समूह दोपहर में 4 बजे पचमढ़ी पहुंचता है। उस दिन आस पास कहीं रुककर दूसरे दिन से मजदूरी का काम करते हैं। जितने दिन काम मिलता है पचमढ़ी में रुकते हैं उसके बाद गांव आ जाते हैं।
ग्रामीणाें का कहना है कि अगर नांदिया ग्राम पंचायत को छिंदवाड़ा जिले में जोड़ दिया जाए तो पंचायत क्षेत्र के लोगों को बहुत सुविधा होगी। उन्हें अपने तहसील स्तर के कामों के लिए पिपरिया 60 किलोमीटर और जिला स्तर के कामों के लिए 135 किलोमीटर दूर होशंगाबाद नहीं जाना होगा। उनके लिए तामिया और छिंदवाड़ा कहीं ज्यादा पास हैं।