उद्योग: सीतापुर कोरिडोर में मयूर यूनीकोटर्स का प्लांट तैयार, जनवरी-2021 से शुरू होगा उत्पादन, मिलेगा रोजगार

उद्योग: सीतापुर कोरिडोर में मयूर यूनीकोटर्स का प्लांट तैयार, जनवरी-2021 से शुरू होगा उत्पादन, मिलेगा रोजगार


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मुरैना18 घंटे पहले

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सीतापुर में केनवास बनाने का कारखाना तैयार। (फोटो शिवशंकर)

  • कोरिडोर में 100 करोड़ किए गए हैं खर्च, इंडस्ट्रीज लगाने पारले एग्रो को दिया 4 साल का समय

सीतापुर कोरिडाेर को विकसित किए दो साल व लोकार्पण को डेढ़ महीना बीत चुका है, लेकिन यहां उद्योग लगाने के लिए राज्य सरकार एक भी उद्याेपति को पूंजीनिवेश के लिए रजामंद नहीं कर पाई है। इससे अंचल के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा नहीं हो पा रहे हैं। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 8 साल से उद्योग क्षेत्र के माध्यम से सेवा योजना की बात कर रहे हैं। वहीं कोरिडोर में मयूर यूनीकोटर्स ने प्लांट तैयार कर लिया है, जबकि उत्पादन जनवरी-2021 शुरू किया जाएगा।

सीतापुर कोरिडोर में नए उद्याेग लाने के लिए इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट कारपोरेशन (आईटाईडीसी) के अफसर इस साल मुंबई, दिल्ली, आगरा व झांसी की लोकल इन्वेस्टर्स मीटर में डेमो देकर वहां के उद्योगपतियों काे मुरैना में पूंजीनिवेश के ऑफर दे चुके हैं लेकिन 10 महीने बीतने के बाद भी कोई उद्योगपति कोरिडोर की साइट तक देखने मुरैना नहीं आया है। विधानससभा उपचुनाव की दृष्टि से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 12 सितंबर को सीतापुर कोरिडोर का लोकार्पण किया लेकिन राज्य शासन ने बीते एक महीने में काेरिडोर का हाल जानने के लिए उद्योग विभाग के आला अफसरों को सीतापुर नहीं भेजा। इस हाल में दो साल पहले विकसित किए काेरिडाेर के 150 भूखंड खुर्द-बुर्द हो रहे हैं।

जयपुर की कंपनी मयूर यूनीकोटर्स ने सीतापुर कोरिडोर में कैनवास तैयार करने के लिए अपना प्लांट 25 एकड़ में लगाया है। 140 करोड़ के पूंजीनिवेश से तैयार यह प्लांट जनवरी 2021 में अपना उत्पादन शुरू करेगा। आईआईडीसी का कहना है कि मयूर यूनीकोटर्स में अभी ट्राइल प्रॉडक्शन चल रहा है। उत्पादन कब से शुरू किया जाएगा इस संबंध में कंपनी की तरफ से अभी तक काेई पुख्ता जानकारी नहीं दी गई है।

प्लांट लगाने के लिए पारले एग्राे को मिला 4 साल का समय
मुम्बई का पारले एग्रो ग्रुप, सीतापुर कोरिडोर में फ्रूटी व एपी फिज तैयार करने का प्लांट लगाना चाहता है। इसके लिए कंपनी ने आईआईडीसी से 13 हैक्टेयर जमीन प्राप्त कर चुके हैं। कंपनी प्रबंधन ने कोविड-19 का हवाला देते हुए आईआईडीसी से कहा है कि फिलहाल वह अपना उद्याेग स्थापित करने की स्थिति में नहीं है। कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के बाद वह अपना उद्योग लगाने का काम शुरू करेंगे। इस संबंध में आईआईडीसी के अफसरों का कहना है कि पारले एग्रो ग्रुप को उद्योग लगाने के लिए 4 साल का समय दिया गया है।

150 करोड़ विकास पर खर्च, 4 लाख बिजली पर व्यय
आईआईडीसी ने सीतापुर कोरिडोर को विकसित करने के लिए दो फेस में 150 करोड़ रुपए खर्च किए हैं लेकिन सरकार के प्रयासों से उस जमीन पर एक भी उद्योग नहीं लगा। जयपुर की मयूर यूनीकोटर्स भी अपनी रुचि के कारण सीतापुर तक आई है। अभी आलम है कि काेरिडोर की स्ट्रीट लाइट पर आईआईडीसी हर साल 4 लाख रुपए का बिजली बिल भर रही है लेकिन उस बिजली का लाभ, सेवायोजन के रूप में युवाओं को नहीं मिल पा रहा है।

बड़ा सवाल… रोजगार देने की घोषणा कैसे होगी पूरी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले फरवरी 2012 की सभा में घोषणा की थी कि मुरैना जिले के युवाओं के सेवायोजन के लिए सीतापुर कोरिडोर से लेकर मालनपुर इंडस्ट्रियल एरिया को विकसित किया जाएगा। लेकिन सीतापुर कोरिडोर में नए उद्याेग लगाने की दिशा में सरकार का कोई भी प्रयास बीते 8 साल में जनता के सामने नहीं आया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सीतापुर कोरिडाेर की कोई चर्चा नहीं की तो पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ व ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुरैना मंडी की सभा में सीतापुर कोरिडोर के फेलुअर होने का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार बनी तो किसानों के लिए हर जिले में फूड प्रॉडक्शन इकाइयों की स्थापना कराई जाएगी जिनमें स्थानीय युवाओं को रोजगार देंगे। लेकिन 16 महीने की कमलनाथ सरकार ने भी सीतापुर कोरिडोर में उद्याेग लाने की दिशा में कोई पहल नहीं की।

कोरिडोर में मयूर यूनीकोटर्स का ट्रायल प्रॉडक्शन चल रहा है
सीतापुर कोरिडाेर में उद्योग लगाने के लिए आईआईडीसी ने अभी तक मुंबई, दिल्ली, आगरा व झांसी के उद्योगपतियों के बीच डेमो दिए हैं। अभी सीतापुर में मयूर यूनीकोटर्स का ट्रायल प्रॉडक्शन चल रहा है। यूनिट कब से उत्पादन करेगी इसकी कोई जानकारी कंपनी ने नहीं दी है। पारले एग्रो ग्रुप को उद्योग स्थापित करने के लिए 4 साल का समय दिया गया है।
आनंद सिंह यादव, महाप्रबंधक आईआईडीसी ग्वालियर



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