इंदौर का गिरोह, अमेरिका में ठगी: कॉल सेंटर से 21 युवक-युवतियां गिरफ्तार; अमेरिकी लाेगों को कम्प्यूटर कॉलिंग कर बताते थे विजिलेंस स्टाफ, ड्रग्स और मनी लॉड्रिंग में फंसाना बताकर ऑनलाइन ठगते थे

इंदौर का गिरोह, अमेरिका में ठगी: कॉल सेंटर से 21 युवक-युवतियां गिरफ्तार; अमेरिकी लाेगों को कम्प्यूटर कॉलिंग कर बताते थे विजिलेंस स्टाफ, ड्रग्स और मनी लॉड्रिंग में फंसाना बताकर ऑनलाइन ठगते थे


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इंदौर12 मिनट पहले

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टीम ने 20 कम्प्यूटर सीपीयू, सर्वर और इंटरनेट काॅलिंग के गैजेट्स जब्त किए हैं।

  • सोशल सिक्याेरिटी नंबर के नाम पर होती थी ठगी, एक लाख अमेरिकियों का डेटा मिला
  • बड़ी तादाद में कम्प्यूटर सीपीयू, इंटरनेट कॉलिंग गैजेंट्स जब्त

अमेरिकी नागरिकों को सोशल सिक्याेरिटी कार्ड के नाम पर ठगने वाले अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का खुलासा हुआ है। इंदौर क्राइम ब्रांच ने कॉल सेंटर के 21 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। इनमें तीन युवतियां हैं। कॉल सेंटर से करीब एक लाख अमेरिकियों का सोशल सिक्योरिटी डेटा भी मिला है। कम्प्यूटर सिस्टम के जरिए ये इंटरनेट कॉलिंग करते थे। खुद को विजिलेंस एजेंसी का स्टाफ बताकर सोशल सिक्योरिटी कार्ड नंबर जुटाकर उन्हें अपराध में शामिल हो जाने की जानकारी देकर उन्हें डराते थे। एक दिन में ही कॉल सेंटर इससे 8 से 10 लाख रुपए कमाते थे। इसके लिए तीन अलग अलग स्तर पर कॉलिंग करके बातचीत की जाती थी। अमेरिकी को उसी की टोन में बात करते थे जिससे वे झांसे में आ जाते थे।

इंदौर डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया क्राइम ब्रांच को लसुड़िया के निपानिया इलाके में द एड्रेस टाउनशिप के पास स्थित ओके सेंटर बिल्डिंग के फ्लैट नंबर – 301 में अंतरराष्ट्रीय काॅल सेंटर की जानकारी मिली थी। पता चला था कि यहां से अमेरिकी नागरिकों से उनके सोशल सिक्योरिटी नंबर के नाम पर ड्रग्स ट्रैफिकिंग, मनी लॉड्रि्ंग, बैंक फ्राॅड और एंटी नेशनल एक्टिविटी की फर्जी सूचना देकर उलझाते थे।

गुरुवार देर रात छापा मारकर पुलिस ने मैनेजर जोशी फ्रांसिस, आईटी हेड जयराज पटेल सहित 16 लड़के और 3 लड़कियों को गिरफ्तार किया है। इस काॅल सेंटर का संचालक करण भट्‌ट है, जो अहमदाबाद का है। वह अभी फरार है। 20 कम्प्यूटर सीपीयू, सर्वर और इंटरनेट काॅलिंग के गैजेट्स जब्त किए। सभी के खिलाफ 66 आईटी एक्ट व धोखाधड़ी की धारा में केस दर्ज किया गया है।

सुबह चार बजे तक कर लेते थे 8 से 10 लाख की ठगी

जांच में पता चला है कि ये काॅल सेंटर देर रात में अमेरिकी नागरिकों के ऑफिशियल टाइमिंग के हिसाब से इंदौर में संचालित होता था। सुबह चार बजे तक कर्मचारी अमेरिकी नागरिकों से ठगी कर अपना काम निपटाकर घर चले जाते थे। एक दिन में ठगी का आंकड़ा 10 से 15 हजार डाॅलर यानी की करीब 8 से 10 लाख से ऊपर का रहता था।

काॅल सेंटर अमेरिकी नागरिकों के ऑफिशियल टाइमिंग के हिसाब से इंदौर में संचालित होता था

काॅल सेंटर अमेरिकी नागरिकों के ऑफिशियल टाइमिंग के हिसाब से इंदौर में संचालित होता था

अमेरिकी नागरिकों से उन्हीं की टोन (जुबान) में करते थे चर्चा

एएसपी गुरुप्रसाद पाराशर ने बताया कि गिरोह में अहमदाबाद के युवक-युवतियां सक्रिय हैं। ये स्कैमर के जरिए अमेरिकी नागरिकों का सोशल सिक्योरिटी का डेटा चुराकर इंटरनेट काॅलिंग के जरिए संपर्क कर उन्हीं की जुबान में.. यानी की बोलने के तरीके जो कि एक अमेरिकी नागरिक का टोन होता है, उसी में संपर्क करते थे।

ठगी के लिए तीन लेयर थी डायलर, क्लोजर और टेक्नो हेड

डायलर निचले स्तर के कर्मचारी होते हैं, जो इंटरनेट पर अमेरिकी लोगों के डेटा के आधार पर उन्हें लगातार फोन कर संपर्क करते रहते हैं। क्लोजर वे हैं, जो जाल में फंसने पर उनसे अमेरिकी लैंग्वेज में उन्हीं की टोन से बात कर लगते हैं। तीसरे टेक्नो हेड वे होते हैं, जो अमेरिकी समझदार होता है, उन पर एक ऑफिसर की तरह रौब जमाकर उन्हें समस्या से बाहर निकालने के लिए तैयार कर उनसे रुपया निकलवाते हैं। ये अमेरिकी नागरिकों से रुपया कैश में न लेते हुए गिफ्ट वाउचर सिस्टम से रुपया लेते हैं, जो अमेरिका के जरिए चाइना होकर बिट क्वाॅइन के माध्यम से कॉल सेंटर संचालकों के खाते में भारतीय मुद्रा में ट्रांसफर किया जाता है। रुपए आने की इस लिंक पर क्राइम ब्रांच पड़ताल कर रही है।

सायबर सेल ने पकड़ा था सबसे बड़ा रैकेट, एफबीआई की टीम भी आई थी इंदौर

अमेरिकी नागरिकों के साथ हुई ठगी की वारदातों में बीते साल सायबर सेल की टीम ने इंदौर के विजय नगर व लसूड़िया इलाके से कई काल सेंटर संचालकों को पकड़ा था। इसमें डेढ़ सौ से ज्यादा कर्मचारी व एक दर्जन काॅल सेंटर संचालकों पर कार्रवाई हुई थी। इनके पास से 10 लाख अमेरिकी नागरिकों का डेटा जब्त हुआ था। इस रैकेट के बाद अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के अधिकारी भी इंदौर पहुंचे थे।



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