बिखरे कला के रंग: विश्वरंग में गूंजी हरिवंशराय बच्चन की मधुशाला, कविता, संगीत और नृत्य बांधा समां

बिखरे कला के रंग: विश्वरंग में गूंजी हरिवंशराय बच्चन की मधुशाला, कविता, संगीत और नृत्य बांधा समां


भोपाल4 मिनट पहले

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शैडो ग्रुप के कलाकार मधुशाला की प्रस्तुति देते हुए।

संस्कृति के विभिन्न रंगों से गुलजार विश्वरंग के अंतर्गत स्कोप कैंपस में शिल्पकला मेला गीत-संगीत की स्वर लहरियों के बीच अपनी अनूठी बानगियां बिखेरता रहा। त्यौहारी मौसम के साथ जुड़ी परंपरागत कलात्मक और सजावटी वस्तुओं की एक वृहद श्रृंखला विश्वरंग का अलहदा आयाम बनाए। वहीं, दूसरी ओर शैडो ग्रुप के कलाकारों ने सुरों में छलकती बच्चन की मधुशाला और अन्य तरानों ने माहौल को रोमांचकारी अहसास दिया।

गौरतलब है कि रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा साहित्य और कला के अंतरराष्ट्रीय महोत्सव विश्वरंग 2020 के तहत अनेक रंगारंग गतिविधियों का सिलसिला इन दिनों जारी है।

मनोज नायर के निर्देशन में स्कोप कैम्पस के मुक्ताकाश परिसर में शैडो ग्रुप के कलाकारों ने अपनी महफ़िल सजाई, तो उनके कद्रदानों ने भी ताल पर ताल मिलाई। शुरुआत हरिवंश राय बच्चन की लोकप्रिय मधुशाला की रुबाइयों से हुई। उसके बाद इन कलाकारों ने संतोष चौबे द्वारा लिखित नाटक सुकरात पर गीत गुनगुनाया। प्रस्तुति का समापन रोचक ढंग से करते हुए शैडो ग्रुप के कलाकारों ने साइकिल की चैन गाकर किया।



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