रैगिंग के आरोप का मामला: जबलपुर में पीजी छात्र को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले पांचों सीनियर्स की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

रैगिंग के आरोप का मामला: जबलपुर में पीजी छात्र को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले पांचों सीनियर्स की अग्रिम जमानत याचिका खारिज


जबलपुर12 मिनट पहले

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मेडिकल कॉलेज की प्रतीकात्मक फोटो

  • सेशन कोर्ट में छात्रों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए लगाई थी याचिका
  • गिरफ्तारी के डर से गायब हैं पांचों छात्र
  • 1 अक्टूबर को मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में लगा ली थी फांसी, छत्तीसगढ़ का रहने वाला था

जबलपुर मेडिकल कॉलेज में छत्तीसगढ़ के रहने वाले पीजी के छात्र भागवत देवांगन (26) को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले पांचों सीनियर्स छात्रों को कोर्ट से झटका लगा है। सेशन कोर्ट ने पांचों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। सेशन जज विश्वनाथ शर्मा की कोर्ट में रविवार को मामले की सुनवाई हुई।

कोर्ट में अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि मामला संवेदनशील और गंभीर है। आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। पांचों छात्रों के खिलाफ गढ़ा थाने में धारा 306, 34 भादवि का प्रकरण दर्ज है। गिरफ्तारी से बचने के लिए पांचों छात्र फरार हैं।

छत्तीसगढ़ में जांजगीर चांपा के रहौद निवासी भागवत देवांगन ने 1 अक्टूबर को जबलपुर मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल नम्बर-3 में फांसी लगा ली थी। मामले में 2 अक्टूबर को उसके बड़े भाई प्रहलाद ने गढ़ा थाने और मेडिकल डीन को लिखित शिकायत की थी। इसमें पांच सीनियर्स छात्रों विकास दि्वेदी, अमन गौतम, सलमान, शुभम शिंदे, अभिषेक गेमे पर प्रताडऩा और रैगिंग का आरोप लगाया था। मर्ग और शिकायत पर जांच के बाद पुलिस ने 5 नवम्बर को पांचों आरोपी छात्रों के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज किया।

भागवत देवांगन की जीवित अवस्था की फोटो

भागवत देवांगन की जीवित अवस्था की फोटो

पांचों आरोपी छात्र चल हैं फरार
गिरफ्तारी से बचने के लिए पांचों आरोपी फरार हैं। अग्रिम जमानत के लिए उन्होंने सेशन कोर्ट में अपील की थी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने छात्रों के भविष्य का हवाला देते हुए अग्रिम जमानत की मांग की थी। वहीं, अभियोजन पक्ष ने इसका विरोध किया। इसके बाद सेशन कोर्ट ने पांचों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
गंभीर है आरोप
भगवत देवांगन ने इस साल जुलाई में पीजी ऑर्थाे 2020 के प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया था। बड़े भाई प्रहलाद ने गढ़ा थाने में शिकायत कर पांचों आरोपियों पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाया था। सोशल मीडिया में भी आपत्तिजनक पोस्ट करते थे। 24-24 घंटे की ड्यूटी लेते थे। सजा के तौर पर उसे ओटी में मुर्गा बना देते थे। हॉस्टल में मारपीट करते थे। प्रताडि़त होकर उसने सितंबर में दवाएं खा ली थी। ठीक होने पर वह घर चला गया था। 26 सितम्बर को लौटा था और एक अक्टूबर को जान दे दी।



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