रणवीर को कांग्रेस उम्मीदवार मेघराम जाटव ने शिकस्त दी है
साल 2018 में कांग्रेस के टिकट पर रणवीर जाटव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के भाजपा में शामिल होते ही रणवीर भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी से जुड़ गए. भिंड जिले के इस आरक्षित सीट (Reserved Seat) पर दोनों ही दलों का ध्यान जातिगत समीकरण को साधने पर था. दोनों ही जाटव समाज (Jatav Community) का प्रतिनिधित्व करते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated:
November 10, 2020, 6:56 PM IST
1. साल 2018 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे रणवीर जाटव लोगों से कट चुके थे. स्थानीय लोगों के मुताबिक, जीतने के बाद से लोगों से मिलना-जुलना तो दूर उनका फोन तक नहीं उठाते थे.
2. हार की दूसरी वजह, इनका स्थानीय प्रत्याशी न होना रहा. दरअसल, रणवीर जाटव गोहद के रहने वाले नहीं हैं, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी गोहद से हैं. लोगों ने बाहरी की जगह स्थानीय प्रत्याशी को तरजीह दी.
3. संगठन के अंदर भी लोग रणवीर जाटव से नाखुश थे. हाई कमान का फैसला था, इस वजह से स्थानीय नेताओं ने विरोध नहीं किया, लेकिन इस चुनाव में उन्होंने समर्थन भी नहीं किया.