झाबुआ में ये खतरनाक परंपरा सालों से चली आ रही हैं.
मन्नतधारियों की आस्था (Faith) का ही नतीजा है कि भारी भरकम गायों के शरीर के ऊपर से गुजरने के बाद भी कोई घायल नहीं होता.
इस पर्व को बड़े भी भव्य तरीके से मनाया जाता है. गौपालक अपनी गायों को तैयार कर गोवर्धननाथ मंदिर के पास जमा होते हैं. आगे- आगे गाय पीछे से लोग कीर्तन करते हुए मंदिर की 7 बार परिक्रमा कर भगवान से सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं. इस दौरान मन्नतधारी गायों के सामने जमीन पर लेट जाते हैं. उनके ऊपर से एक साथ कई गायें निकलती हैं. लेकिन अचरज कि बात ये है कि आज तक इस दौरान कोई घायल नहीं हुआ. मन्नतधारियों में से कुछ पीढ़ी-दर-पीढ़ी गायों के सामने लेटते आ रहे हैं.
आज तक नहीं हुआ कोई हादसा
मन्नतधारियों की आस्था का ही नतीजा है कि भारी-भरकम गायों के गुजरने के बाद भी कोई घायल नहीं होता. मान्यता है कि ऐसा करने से मन्नत पूरी होती है. वहीं कुछ लोग मन्नत पूरी होने पर आभार जताने के लिए भी गाय गौहरी में हिस्सा लेते हैं. एक मान्यता ये भी है कि गायों के ऊपर से जाने पर उस शख्स का पाप धूल जाता है. इन्हीं मान्यताओं के चलते बड़ी संख्या में लोगों इस परंपरा में हर साल भाग लेते हैं.गाय-गौहरी पर्व में बड़ी संख्या देखने वालों की भीड़ भी उमड़ती है. इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल होती हैं. गाय गौहरी की ये परंपरा सालों से चली आ रही हैं, खतरनाक होने के बावजूद ये लोगों की आस्था का ही कमाल है कि आज तक कोई हादसा नहीं हुआ.