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बैतूलएक घंटा पहले
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- पूजा में शामिल हाेने दूर-दूर से अाए बंगला भाषी
पुनर्वास क्षेत्र में दीपावली पर एक दर्जन से अधिक गांवों में काली पूजा का सामूहिक कार्यक्रम होगा। बंगला भाषी समुदाय के लोगाें ने हर साल की तरह इस साल भी इस पारंपरिक उत्सव के लिए विशेष तैयारियां की है। पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार शक्ति स्वरूपा माता भद्रकाली की उपासना के साथ ही बंगला भाषी समुदाय अपने नवीन और मंगलकारी कार्य शुरू करते हैं। दीवाली की रात 12 बजे से पूजन प्रारंभ होता है जो भोर तक चलता है। पुनर्वास क्षेत्र में तवाकाठी, शिवसागर, नूतनडंगा, निश्चिंतपुर, नारायणपुर, आमडोह, बटकीडोह, बादलपुर, विष्णुपुर समेत बंगला भाषी बाहुल्य ग्रामों में कहीं एक दिन पूजा होती है, तो कई स्थानों पर 4 दिन पंडालों में कार्यक्रम होते हैं। इस बार दीवाली के दिन काली प्रतिमा की स्थापना कर विधि-विधान से पूजा होगी। इस बार कोरोना के चलते सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे। कोरोना गाइड लाइन के अनुसार कार्यक्रम होना है। पुनर्वास क्षेत्र के असीमराय, मणीन्द्र, दिलीप मंडल ने बताया हमारे पूर्वजों द्वारा शक्ति उपासना का यह कार्य नियत तिथि पर ही किया जाता रहा है। हम भी इस परंपरा का पालन कर रहे हैं। इस परंपरा के पालन से उत्साह, उमंग और शक्ति का संचार होता है। हमारे सभी मांगलिक कार्य निर्विघ्न होते हैं।