छठ पूजन: अस्ताचल सूर्य को पहला अर्घ्य, संस्कारधानी में नजर आई पूर्वांचल की झलक

छठ पूजन: अस्ताचल सूर्य को पहला अर्घ्य, संस्कारधानी में नजर आई पूर्वांचल की झलक


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जबलपुर3 घंटे पहले

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उत्तर भारतीयों के महापर्व छठ पूजन पर शुक्रवार को नर्मदा तटों सहित शहर के तालाबों में अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देने बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े और पूरे विधि-विधान से छठ पूजन किया।

लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन शुक्रवार को व्रती महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया। संस्कारधानी में छठ महापर्व की आस्था का ऐसा संगम दिखा कि पूरा नगर ही पूर्वांचलमय लगने लगा। इससे पहले व्रतियों ने गुरुवार को सूर्य के ढलने के बाद प्रसाद के लिए मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ियों से गुड़ व चावल की खीर (रसियाव) व रोटियाँ बनाईं। जिस जगह सूप से अर्घ्य दिया गया उसी जगह रसियाव व रोटी को केले के पत्ते पर स्वच्छ स्थान पर रखकर विधिवत पूजा-अर्चना की गई।

घाट से लौटने के बाद शाम को परिवार के पुरुष सदस्यों ने कोशी जलाया। इसमें हर गन्ने के पास मिट्टी के बर्तन में प्रसाद रखा जाता है और दीप जलाया जाता है। मिट्टी के हाथी के सामने अनाज रख दिया जाता है। फिर इसी कोशी को शनिवार को छठ घाट पर ले जाकर पूजन किया जाएगा। इसके बाद व्रती उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देंगे। छठ घाट पर पूजा-अर्चना के बाद ही प्रसाद ग्रहण करने के बाद महिलाएँ आहार ग्रहण करेंगी। शहर में 18 से अधिक स्थानों पर छठ पूजा आयोजित की गई। दोपहर बाद से ही छठव्रती महिलाएँ एवं उनके पति, पुत्र सिर पर पूजा सामग्री की टोकरी रखकर पूजा स्थल पर पहुँचने लगे।

रास्ते में भोजपुरी गीत गाते हुए महिलाएँ अपनी बनाई हुई बेदी में हाथ से निर्मित ठेकुआ, खजूर एवं ताजे फलों से भरी हुई टोकरी, जिसमें चारों तरफ गन्ने लगे हुए थे। व्रती नदी में उतरकर कमर तक पानी में डूब कर अस्ताचल सूर्य भगवान की पूजा करती रहीं और भगवान सूर्य को प्रथम अर्घ्य दिया। शहर की सभी दिशाओं में छठ मैया की जय और भोजपुरी गीत गूँजते रहे। संस्कारधानी का वातावरण पूर्वांचल जैसा लग रहा था। शहर में चारों तरफ यही नजारा था।

व्रतियों ने बनाया ठेकुआ
छठ पर्व का मुख्य प्रसाद ठेकुआ और टिकरी घरों में बनाया गया। इसके अलावा पूजा में सूप, दऊरा, कोशी, गन्ना, सूथनी, मूली, अदरक, सिंदूर समेत अन्य इस्तेमाल में आने वाली पूजा सामग्री की खरीददारी की गई। फिर इसे घर लाकर पूरी शुद्घता के साथ साफ कर व्रत वाले घरों में रखा गया।

सूर्य भगवान की महाआरती का आयोजन
अधारताल (तालाब) में सूर्य भगवान की 108 दीपों से महाआरती हुई एवं छठ व्रती महिलाओं को समिति के द्वारा फलों की टोकरी भेंट की गई। इस अवसर पर विधायक लखन घनघोरिया एवं अशोक रोहाणी, महासंघ के अध्यक्ष कामेश्वर शर्मा, संरक्षक डॉ. राजेश जायसवाल, माया शंकर सिंह, उप्र सेवा संघ के बनारसी यादव, भारत सिंह यादव, सर्वेश मिश्रा, राजीव सिंह, आदि उपस्थित थे।

सार्वजनिक पूजा नहीं
कोरोना संक्रमण काल में महाकौशल नगर अधारताल में अंतिम समय पर छठ व्रतियों ने अपने- अपने घरों से पूजा करने का सामूहिक निर्णय लिया। इस दौरान समिति के विजय यादव, कमल सिंह, शशि भूषण सिंह, राजेश्वर सिंह चौहान, पवन सोनी, दिनेश सिंह, आशुतोष सक्सेना आदि उपस्थित थे।
यहाँ हुए मुख्य आयोजन
ग्वारीघाट, तिलवारा घाट, अधारताल, हनुमानताल, मानेगाँव तालाब और पुराना कंचनपुर तालाब में मुख्य आयोजन हुआ।

थर्मल स्कैनिंग के बाद तालाब में प्रवेश
कंचनपुर तालाब में कंचनपुर युग सेवा समिति एवं संदीप राठौर मित्र मंडल द्वारा श्रद्धालुओं कि थर्मल स्कैनिंग की गई एवं सेनिटाइजर मास्क का वितरण किया गया। इसके साथ ही छठ पूजा महोत्सव आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विधायक अशोक रोहाणी, संदीप राठौर, योगेश सिंह, प्रसन्न उपाध्याय, पवित्र कटियार, मोनू पटेल, आनंद पटेल, विनोद सिंह, सुम्मी सुनेने, सविता राठौर आदि की उपस्थिति रही। विभिन्न पूजा स्थलों पर उत्तरप्रदेश-बिहार महासंघ, उत्तरप्रदेश सेवा संघ, बिहार-उत्तरप्रदेश युवा महासंघ, पूर्वांचल सांस्कृतिक संघ एवं क्षेत्रीय समितियों के द्वारा श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था की गई।



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