. (सांकेतिक तस्वीर)
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) जिले में इसी नशे के कारण हजारों नवजात बच्चे अपेक्षित विकास से बाधित हो रहे हैं और कुपोषण की भेंट भी चढ़ रहे हैं.
आलम यह है कि बीते 6 महीनो में जबलपुर जिले में जन्म लेने वाले 16094 नवजातों में से 21 फीसदी नवजात याने 3273 बच्चे कम वजन के पैदा हुए. इन कम वजन के बच्चों की मुख्य वजह गर्भवती महिलाओं के नशे की लत है. चिकित्सक कहते हैं कि महिलाओं में तंबाकू और गुटखा और अन्य प्रकार के नशे का सेवन का चलन बढ़ गया है, जिससे गर्भस्थ शिशु के विकास में बाधा देखी जा रही है.
हानिकारक तत्वों से बढ़ रही परेशानी
चिकित्सकों के मुताबिक कम वजन के बच्चों का जन्म बेहद चिंताजनक है. कहने को इसके कई कारण हैं, लेकिन मूल वजह जो अब तक सामने आई है उसमें यह पाया गया है कि गर्भधारण करने के दौरान महिलाओं में किसी तरह का संक्रमण गर्भस्थ शिशु के शारीरिक विकास में बाधा बनता है. नशे के चलते फैल रहे संक्रमण की वजह से शिशु गर्भ में शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है. अमूमन कई बार गर्भवती महिलाओं की जीवन शैली गर्भस्थ शिशु के विकास को प्रभावित करती है. ना केवल शहर बल्कि गांव की महिलाओं में भी नशे का प्रचलन बढ़ा है एक और शहर में जहां आधुनिक परिवेश में महिलाएं शराब की आदी और सिगरेट पीने की आदि हो रही हैं तो वही गांव की महिलाओं में तंबाकू और गुटखा का प्रचलन बढ़ा है. अगर चिकित्सक की भाषा में बात करें तो गर्भवती महिलाओं द्वारा नशीले पदार्थ का सेवन करने से गर्भस्थ शिशु के विकास में बाधा बनती है. नशीले पदार्थों में निकोटिन पाया जाता है जो गर्भ में हानिकारक रसायनिक पदार्थ छोड़ते हैं.