नगर निगम हर महीने 4 करोड़ रुपए डीजल के लिए देता है.
नगर निगम की गाड़ियों में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) लगाया गया है.इस सिस्टम का मकसद था गाड़ियों के बारे में पल-पल की जानकारी लेना. लेकिन GPS की मॉनिटरिंग न होने से डीजल चोरी रुक नहीं रही है.
न्यूज़ 18 के हाथ डीजल चोरी का ताजा वीडियो लगा है. यह वीडियो बाग सेवनिया इलाके का है. बागसेवनिया में कचरा गाड़ी नम्बर MP04 GB 4607 और MP04LD0154 से डीजल चोरी हुआ. ये गाड़ियां जोन 15 वॉर्ड 55 में लगी हैं.
मिलीभगत से सप्लाई
भोपाल में यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई वीडियो सामने आ चुके हैं, जिसमें कचरा गाड़ी और नगर निगम की दूसरी गाड़ियों पर तैनात कर्मचारी डीजल चोरी करते हुए मिले. इन मामलों की शिकायत नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों से की गयी, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ लीपापोती हुई. जब बागसेवनिया इलाके के मामले को लेकर जोन के एच ओ से बातचीत की गई तो उन्होंने माना कि डीजल चोरी हो रहा है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर वरिष्ठ अधिकारियों का नाम देकर पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने कहा कि मामला एएचओ के अंतर्गत आता है. वहीं से गाड़ियां संचालित होती हैं और वहीं से उन्हें डीजल दिया जाता है.हर महीने करीब 4 करोड़ के डीजल की खपत
नगर निगम हर महीने 4 करोड़ रुपए डीजल के लिए खर्च करता है. यह डीजल कचरा गाड़ियों में उपयोग किया जाता है. डीजल की जिम्मेदारी जोन स्तर पर तय की गई है. लेकिन मॉनिटरिंग नहीं होने की वजह से गाड़ियों से लगातार डीजल चोरी हो रहा है.
जीपीएस के बाद भी चोरी
नगर निगम की गाड़ियों में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लगाया गया है.इस सिस्टम का मकसद था गाड़ियों के बारे में पल-पल की जानकारी लेना. यह पता लगाया जा सके कि गाड़ी कितनी चली है. जीपीएस से यह भी पता चल जाता था कि इन गाड़ियों को कितना डीजल दिया जाना है. लेकिन जीपीएस की मॉनिटरिंग नहीं होने की वजह से डीजल चोरी रुक नहीं रही है.