कथक में मौसम झलक: रागिनी मख्खर ने कथक के जरिए ऋतुओं के स्वभाव का किया वर्णन

कथक में मौसम झलक: रागिनी मख्खर ने कथक के जरिए ऋतुओं के स्वभाव का किया वर्णन


Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

भोपाल2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

रागिनी मख्खर अपनी शिष्याओं के साथ जनजातीय संग्रहालय में गुरुवार को नृत्य की प्रस्तुति देती हुईं।

  • जनजातीय संग्रहालय में नृत्य की प्रस्तुति और व्याख्यान

जनजातीय संग्रहालय में गुरुवार को ‘गमक’ श्रृंखला के अंतर्गत राकेश शर्मा का छायावाद के 100 वर्ष पर ‘व्याख्यान’ और रागिनी मख्खर की ‘नृत्य-नाटिका’ की प्रस्तुति हुई | कार्यक्रम की शुरुआत राकेश शर्मा के व्याख्यान से हुई, जिसमें उन्होंने कहा- छायावाद में हिन्दी कविता में अनेक प्रयोग किए गए हैं। निराला ने छन्द तोड़ा भी और नवगीत का प्रवर्तन भी किया। जो कविता राज दरबारों तक सीमित थी, उसे मनोरंजन के बजाय जनसामान्य को सुख-दुःख व्यक्त करने का माध्यम बनाया।

निराला ने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से अंग्रेज साम्राज्य के समक्ष प्रश्न खड़े किए। जयशंकर प्रसाद ने भारतीय सांस्कृतिक विरासत से अनेक प्रसंग लेकर उन्हें तत्कालीन भारतीय समाज के समक्ष रखा और यह प्रमाणित किया कि भारतीयता का क्या मतलब है। सुमित्रानंदन पंत ने प्रकृति और मानव के परस्पर संबंधों पर कविताएं रचीं। महादेवी वर्मा ने नारी अस्मिता की रक्षा और उसकी स्त्रीत्व की ओर समाज का ध्यान खींचा।

कार्यक्रम में दूसरी प्रस्तुति ख्यात कथक नृत्यांगना और गुरु रागिनी मख्खर और उनकी शिष्याओं की हुई। प्रस्तुति में छह ऋतुएं – वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर सभी अपनी विशेषताओं के साथ कथक के विभिन्न रूपों जैसे तराना, ठुमरी, बंदिश, होरी के रूप प्रस्तुत किया।नृत्य के जरिए ऋतुओं के स्वभाव को समझाया। यह प्रस्तुति रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि पद्माकर जी के पदों पर आधारित, कथक के चित्रण के साथ तीनताल, रूपक, झपताल, कहरवा तालों में निबद्ध थी । नृत्य में डॉ. मख्खर की शिष्याएं नत्शा सरस्वती, तान्या मंडलोई, पलक शर्मा, ख़ुशी सिंह, रिधुमा त्रिपाठी, विदुषी दवार, तनिष्क त्रिवेदी और गौतम सिंह राज आदि शामिल थीं |



Source link