गौ-संरक्षण: मप्र हाईकोर्ट में राज्य शासन ने पेश किया जवाब, गौवंश व गौशालाओं के लिए सरकार बनाने जा रही है नीति

गौ-संरक्षण: मप्र हाईकोर्ट में राज्य शासन ने पेश किया जवाब, गौवंश व गौशालाओं के लिए सरकार बनाने जा रही है नीति


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जबलपुर8 मिनट पहले

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  • एक्टिंग चीफ जस्टिस की युगल पीठ ने चार दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को राज्य शासन की ओर से अवगत कराया गया कि सड़क पर आवारा भटकने वाले मवेशियों के संरक्षण, गौवंश व गौशालाओं की स्थापना के लिए सरकार नीति बनाने जा रही है। राज्य सरकार के जवाब को रिकॉर्ड पर लेने के निर्देश देकर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की युगलपीठ ने मामले को अंतिम सुनवाई के लिए निर्धारित कर दिया। अगली सुनवाई चार दिसंबर को होगी।
दो हजार गौवंश, फिर भी कार्रवाई नहीं
कामधेनु गौरक्षा राष्ट्रीय दल के गोरखपुर, जबलपुर निवासी बृजेंद्र लक्ष्मी यादव की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि उन्होंने तेंदूखेड़ा से दमोह के बीच में करीब दो हजार गौवंश के पशुओं का झुंड देखा, जिसे कुछ लोग हांक कर ले जा रहे थे। पूछने पर जानकारी मिली कि ग्वालियर जिले के श्योपुर से इन पशुओं को बालाघाट के व्यापार मेले में बेचने के लिए ले जाया जा रहा है।
श्योपुर से बालाघाट तक ले जाना पशु क्रूरता
याचिका में कहा गया कि जिस तरीके से श्योपुर से लगातार इतने बड़े झुंड में पैदल चलाते हुए इन पशुओं को ले जाया गया, वह पशु क्रूरता अधिनियम व गोवंश प्रतिषेध अधिनियमों के खिलाफ और अमानवीय है। इन पशुओं में से कई बीमार व घायल भी थे। पशु क्रूरता अधिनियम का हवाला देते हुए उन्होंने तेंदूखेड़ा पुलिस थाने में शिकायत कर कार्रवाई की मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
गौशालाओं की दशा पर चिंता
वहीं हेड पोस्ट ऑफिस के समीप साउथ सिविल लाइंस निवासी पूर्णिमा शर्मा ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा था। इसमें कहा गया कि विभिन्न हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने आवारा मवेशियों को सड़कों पर विचरण करने से रोकने के निर्देश दिए हैं। इसके चलते इन मवेशियों पर स्थानीय निकाय के कर्मी क्रूरता करते हैं। कांजीहाउस, गौशालाओं मे किसी तरह की सुविधाएं नहीं हैं। यहां रखे गए मवेशियों की दशा अत्यंत दयनीय है। नगर निगम जबलपुर ने तिलवारा में गौसेवा केंद्र स्थापित किया है। लेकिन यहां मवेशी के लिए जगह पर्याप्त नहीं है। कांजीहाउस, गौशाला के मवेशियों के खाने,पीने, इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। रोजाना तिलवारा के गौसेवा में असमय मवेशी काल के गाल में समा रहे हैं। निगम में इनके लिए डॉक्टर तक नहीं हैं। इसकी शिकायत सीएम हेल्प लाइन तक की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। दोनों मामलों की हाइकोर्ट में एक साथ सुनवाई हुई।
दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं मवेशी
अधिवक्ता योगेश धांड़े ने तर्क दिया कि गौवंश की तस्करी करने वालों से पुलिस की मिलीभगत है। व्यापार मेला के नाम पर ले जाए जाने वाले पशुओं की खरीद-फरोख्त का कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में गौवंश बुरा हाल है। आए दिन सड़क पर आवारा भटकने वाले गौवंश के मवेशियों के कारण दुर्घटनाएं होती हैं। राज्य सरकार ने तीन हजार गौशालाओं के निर्माण की बात कही। लेकिन अभी तक अधिकतर का काम नहीं हुआ। सरकार की ओर से नीति निर्माण का हवाला दिया गया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने एक सप्ताह बाद अंतिम सुनवाई करने का निर्देश दिया।



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