हाईकोर्ट में राज्य सरकार का जवाब: आवारा गौवंश के संरक्षण के लिए बन रही नीति, 4 दिसंबर को होगी अंतिम सुनवाई

हाईकोर्ट में राज्य सरकार का जवाब: आवारा गौवंश के संरक्षण के लिए बन रही नीति, 4 दिसंबर को होगी अंतिम सुनवाई


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जबलपुर9 मिनट पहले

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फाइल फोटो- म.प्र हाईकोर्ट

मप्र हाईकोर्ट में गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश किया गया कि आवारा गौवंश के संरक्षण और गौशालाओं की स्थापना के लिए नीति बन रही है। जवाब को देखने के बाद एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बैंच ने मामले की अंतिम सुनवाई 4 दिसंबर को नियत की है।

गोकलपुर निवासी ब्रजेन्द्र लक्ष्मी यादव की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि 12 नवंबर 2019 को तेंदूखेड़ा से दमोह के बीच लगभग दो हजार गौवंश को कुछ लोग क्रूरतापूर्वक ले जा रहे थे। उनका कहना था कि वे गौवंश को श्योपुर, ग्वालियर से बालाघाट के मेले में ले जा रहे हैं।

उन्होंने इसकी सूचना तेंदूखेड़ा पुलिस थाने में दी, लेकिन पुलिस ने गौवंश ले जाने वालों को पूछताछ के बाद छोड़ दिया। वहीं दूसरी तरफ साउथ सिविल लाइन्स निवासी पूर्णिमा शर्मा ने भी पिछले वर्ष चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने सड़कों पर आवारा पशुओं के विचरण पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं।

पत्र में कहा गया कि स्थानीय निकाय के कर्मी आवारा पशुओं को क्रूरतापूर्वक पकड़ते है। कांजी हाउस और गौशालाओं में पशुओं को रखने के लिए जगह नहीं है। दोनों जनहित याचिकाओं की सुनवाई संयुक्त रूप से की जा रही है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता योगेश धांडे ने तर्क दिया कि पुलिस की मिलीभगत से तस्कर गौवंश की तस्करी कर रहे हैं।



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