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- Power Wire Was Laid For Wild Pig, Trapped Gajraj, Team Of 100 Engaged In Search Of Second Elephant Missing For 36 Hours
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जबलपुर23 मिनट पहले
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लापता हाथी राम की तलाश में जुटा वन विभाग का अमला
- डुंगरिया मोहास के दोनों आरोपियों से पूछताछ जारी
कान्हा के जंगल से भटक कर जबलपुर पहुंचे दो हाथियों में एक की करंट से मौत मामले में वन विभाग की टीम ने दो शिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। रात भर चली पूछताछ के बाद दोनों को दबोचा गया। छानबीन में सामने आया कि दोनों जंगली सूअर का शिकार करने के लिए खेत में बिजली के तार बिछाए थे। जंगली सूअर तो नहीं फंसे, लेकिन गजराज बलराम उसमें फंस गया और उसकी दर्दनाक मौत हो गई। सूंड में लगे करंट के चलते वह मुंह के बल गिरा। दोनों दांत जमीन में धंस गए थे। उधर, दूसरा हाथी राम का 36 घंटे से पता नहीं चला। उसकी सर्चिंग के लिए वन विभाग की 100 कर्मी लगाए गए हैं।

मृत हाथी बलराम की फाइल फोटो
रात में ही दोनों आरोपियों को उठाया
वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक हाथी बलराम की करंट से हुई मौत मामले में टीम ने रात मेें ही डुंगरिया मोहास निवासी पंचम आदिवासी और मुकेश पटेल को गिरफ्तार किया है। दोनों ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वे जंगली सूअर का शिकार करने के लिए बिजली के तार बिछाए थे। उन्हें नहीं पता था कि इसमें गजराज फंस जाएंगे।
डेढ़ फीट झुलसा था सूंड
बलराम हाथी का पीएम करने वाले चिकित्सक दल में शामिल एक विशेषज्ञ ने भास्कर से बातचीत में खुलासा किया कि करंट सूंड में लगा था। डेढ़ फीट के लगभग करंट से झुलसा था। करंट लगने के बाद हाथी लगभग 200 मीटर आगे आकर गिरा था। दोनों हाथी साथ-साथ चल रहे थे। ऐसे में आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं दूसरा हाथी भी करंट की चपेट में न आया हो। 36 घंटे से उसका न मिलना भी कई आशंकाओं की ओर इशारा कर रहा है।

करंट से झुलसा हाथी का सूंड
सागर में बिसरा की जांच
स्कूल आफ वाइल्ड लाइफ फारेंसिक लैब जबलपुर में हाथी की मौत को लेकर कई तरह के रिसर्च होंगे। वहीं उसका बिसरा जांच सागर लैब को भेजा जाएगा। इससे पता चलेगा कि मौत की वजह सिर्फ करंट ही था या इसके साथ कोई जहरीला पदार्थ तो नहीं खिलाया गा था। बलराम हाथी का पीएम शुक्रवार को गोसलपुर के काष्ठागार में कान्हा से आए डॉक्टर संदीप अग्रवाल, सेवानिवृत्त वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉक्टर एबी श्रीवास्तव सहित पांच डॉक्टरों की टीम ने किया था। पीएम पूरे चार घंटे तक चला था। हाथी दांत को प्रोटोकॉल के तहत सरकारी खजाने में जमा कराया जाएगा।
कान्हा से भी बुलाए गए रेस्क्यू टीम
हाथी राम के 36 घंटे से गायब होने के बाद से वन विभाग सकते में है। आस-पास के सारे गांवों में उसके बारे में जानकारी ली गई। 10-10 लोगों की कुल 10 टीमें बनाई गई है। सभी लोग सुबह से जंगल की सर्चिंग कर रहे हैं। बड़ी मुश्किल ये है कि हाथी के फुट प्रिंट भी नहीं मिल पा रहा है। बरगी क्षेत्र में घना जंगल है। इसके चलते वन विभाग ने डॉग स्क्वॉड की भी मदद ली है। डीएफओ अंजना सुचिता तिर्की ने बताया कि लापता हाथी राम की तलाश की जा रही है। वहीं करंट बिछाने वाले आरोपियों को न्यायालय में पेश करने के बाद विस्तृत खुलासा करेंगे।

राम-बलराम की जोड़ी दो दिन पहले इस तरह घूम रहे थे जंगलों में
ये है पूरा मामला
ओडिशा के जंगल से भटक कर अप्रैल में 20 हाथियों का झुंड कान्हा में आया था। यहां से सिवनी के रास्ते ये हाथी निकल कर मंडला के जंगल में सितंबर में पहुंचे थे। दो महीने तक वहीं रहे। इसके बाद ग्रामीणों द्वारा दिए गए नाम के राम-बलराम हाथी भटक कर जबलपुर की ओर निकल आए। जबकि अन्य हाथी लौट गए। पांच दिन पहले दोनों हाथियों ने जबलपुर के बरेला में प्रवेश किए थे। बुधवार को बरगी और गुरुवार को मंगेली में दिखे थे। शुक्रवार को एक हाथी बलराम का शव मोहास में नहर किनारे मिला था। जबकि हाथी राम का पता नहीं चल रहा।
400 साल पहले जबलपुर में था हाथियों का बसेरा
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के विज्ञापनी डॉक्टर प्रत्युष मोहपात्रा का दावा है कि 400 वर्ष पहले जबलपुर हाथियों का गढ़ा था। तब सैकड़ों की तादाद में हाथी यहां के जंगलों में विचरण करते थे। घटते जंगल क्षेत्र और हाथी दांत पाने की चाहत में बढ़ते शिकार से इनकी तादाद घटती गई। इस वन्यजीव में कई विशेषताएं होती हैं। यह काफी अक्लमंद होता है। सूंड से जमीन पर तिनका भी उठा लेता है। इसी से भोजन को मुंह में डालने से लेकर नहाने में करता है। एक बार में यह सूंड में 14 लीटर के लगभग पानी भर सकता है।

जंगली हाथी कान्ह से भटक कर आए थे जबलपुर
नर व मादा हाथियों के स्वभाव में अंतर
डॉ. मोहपात्रा नर व मादा हाथियों के स्वभाव में अंतर होता है। नर हाथी लैंगिक प्रजनन क्षमता आने के बाद समूह से अलग हो जाते हैं। जबकि मादा हाथी समूह में रहते हुए बच्चों की देखभाल करती है। जन्म के समय हाथी के बच्चे का वजन 70 से 90 किलो और ऊंचाई एक मीटर होती है। हाथी की औसत उम्र 70 से 80 वर्ष होती है।
भटके नहीं, जायजा लेने आए
विज्ञानी डॉक्टर मोहपात्रा ने बताया कि हाथी कभी भटकते नहीं हैं। उनमें सूंड से सूंघने की अद्भुत क्षमता होती है। कान्हा से सिवनी होकर मंडला और फिर जबलपुर आना यहां के प्राकृतिक दृष्टि से अच्छा संकेत है। नर प्रजाति के दोनों हाथी अपना रास्ता भटके नहीं बल्कि वनक्षेत्र का जायजा लेने यहां आए थे। दूसरा नर हाथी यदि सकुशल अपने समूह से वापस मिल पाया तो भविष्य में ये फिर से जबलपुर में आ सकते हैं।