सुप्रीम कोर्ट का फैसला: उज्जैन में 44 साल बाद पांच करोड़ की भूमि पर प्रशासन को मिला कब्जा

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: उज्जैन में 44 साल बाद पांच करोड़ की भूमि पर प्रशासन को मिला कब्जा


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उज्जैन8 मिनट पहले

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प्रशासन ने जेसीबी से गेहूं की फसल जोतवा कर लिया कब्जा

  • सुप्रीम कोर्ट से पिछले साल हुआ था आदेश
  • छह थानों की पुलिस और राजस्व विभाग के आला अधिकारी रहे मौजूद

उज्जैन में 23 हेक्टेयर यानि करीब 100 बीघा सरकारी भूमि पर कब्जा पाने में प्रशासन को 44 साल लग गए। भूमि की कीमत वर्तमान समय में गाइड लाइन के हिसाब से करीब 4.95 करोड़ रुपए है। कब्जा लेने के लिए प्रशासन को रविवार को छह थानों की फोर्स के साथ कई उच्च अधिकारियों को मौके पर भेजना पड़ा। अधिकारियों ने उक्त भूमि पर बोई गेहूं की फसल को जेसीबी से जोतवा दिया। इस दौरान कब्जेदारों के वकील मौके पर विरोध करने के लिए आए लेकिन प्रशासन के सामने उनकी एक न चली।

दरअसल, घटि्टया तहसील के रुई गांव में सीलिंग की करीब 23.20 हेक्टेयर भूमि (सर्वे क्रमांक 107, 112/1, 67, 593, 596, 606/1, 68/1, 585, 587/1, 110, 111, 588, 590, 592/1, 62, 387, 404/1 और 586) पर वर्ष 1976 से मांगीलाल आंजना, संजय सिंह आंजना, हाकम सिंह आंजना, सेवाराम आंजना, रमेश सिंह आंजना के परिवार का कब्जा है। एसडीएम गोविंद दुबे ने बताया कि इस भूमि पर कब्जे के लिए आंजना परिवार ने हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया था। अदालत ने आंजना परिवार के पक्ष में फैसला सुना दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शासन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पिछले साल शीर्ष न्यायालय ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए उक्त भूमि को शासन के पक्ष में करने का आदेश दिया।

कब्जा छुड़ाने के बाद शासकीय भूमि का बोर्ड लगा दिया

कब्जा छुड़ाने के बाद शासकीय भूमि का बोर्ड लगा दिया

एसडीएम ने बताया कि पिछले साल आदेश आते ही कब्जेदारों से कब्जा छुड़वा लिया गया था लेकिन उन लोगों ने दोबारा कब्जा कर लिया। आंजना परिवार से कब्जा छुड़वाने के लिए रविवार को मुहिम चलाई गई। छह थानों का पुलिस बल, सीएसपी जीवाजीगंज, 30 पटवारी और 50 गांव के कोटवार समेत राजस्व महकमे के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।



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