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बुरहानपुर35 मिनट पहले
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बुरहानपुर का ऐतिहासिक गुरुद्वारा।
- बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे ठहरे थे श्री गुरुनानकदेवजी, आस्था का केंद्र है लगभग 450 साल पुराना ऐतिहासिक गुरुद्वारा
महाराष्ट्र की सीमा से लगा मध्यप्रदेश का बुरहानपुर शहर सिख समाज के लिए ऐतिहासिक है। यहां सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरुनानकदेवजी महाराज और दसवें गुरु श्री गोविंदसिंहजी महाराज पहुंचे थे। आज भी यहां सिखों का धार्मिक स्थल गुरुद्वारा बड़ी संगत व राजघाट का ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। श्री गुरुनानकदेवजी बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे ठहरे थे और यहां लगभग 450 साल पुराना ऐतिहासिक गुरुद्वारा है।
सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरुनानकदेवजी मध्यप्रदेश में महाराष्ट्र के नासिक शहर से होते हुए बुरहानपुर पहुंचे थे। बुरहानपुर में वे ताप्ती नदी के किनारे ठहरे। यहां भक्तों को ज्ञान दिया। उन्होंने भक्तों को कर्मकांडों और व्यर्थ के आडंबरों से निकालकर एक ओंकार प्रभु की भक्ति और उनकी बंदगी करने का पवित्र उपदेश दिया था। इसके बाद यहां से वे ओंकारेश्वर होते हुए इंदौर के इमली साहब गुरुद्वारा में विराजमान हुए थे। ताप्ती तट के पुरातन गुरुद्वारे का इतिहास लगभग 450 वर्ष पुराना बताया जाता है। इतिहासकार बताते है बुरहानपुर शहर भाग्यशाली है जहां सिख समाज के प्रथम श्री गुरुनानकदेवजी और दसवें श्री गुरु गोविंदसिंहजी पधारे थे। धर्मगुरुओं के प्रकाश से आलोकित बुरहानपुर धन्य हुआ। गुरुओं के चरण कमल इस धरती पर पड़े।
दसवें गुरु ने श्री गुरु ग्रंथ साहब के स्वरूप पर किए थे हस्ताक्षर
दसवें गुरु श्री गोविंदसिंहजी ने नांदेड़ जाते हुए कुछ समय बुरहानपुर में व्यतीत किया था। यहां पर उन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहब के स्वरूप पर अपने हस्ताक्षर किए थे। यह एकमात्र श्री ग्रंथ साहब है जिस पर गुरुजी ने हस्ताक्षर किए हैं। इस ग्रंथ साहब के हर पेज पर अत्यंत ही खूबसूरत पेंटिंग की गई है, जो बहुत ही सुंदर है। उनके चरण-कमल की वजह से उनकी गुरुगादी यहां पर स्थित है। इतिहासकार होशंग हवलदार के अनुसार यह गुरुद्वारा समाज में गुरुद्वारा बड़ी संगत पादशाही दस के नाम से प्रसिद्ध है। लोधीपुरा स्थित इस प्राचीन श्री गुरुद्वारा बड़ी संगत में हमेशा लंगर चलता रहता है। देश-विदेश से भक्त इस गुरुद्वारे में मत्था टेकने आते हैं।
प्रकाशोत्सव पर विभिन्न आयोजन
ऐतिहासिक गुरुद्वारों में आज मत्था टेकने देशभर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। गुरुनानकदेवजी का प्रकाशोत्सव मनाया जा रहा है। प्रकाशोत्सव पर विविध कार्यक्रम चल रहे है। ज्ञानी चरणसिंहजी और ज्ञानी मुकुंदसिंह ने बताया कि धर्मगुरुओं के प्रकाश से बुरहानपुर शहर आलोकित और धन्य हुआ।