भड़काऊ भाषण केस : HC ने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की याचिका पर सरकार को भेजा नोटिस

भड़काऊ भाषण केस : HC ने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की याचिका पर सरकार को भेजा नोटिस


मसूद ने उनके खिलाफ दूसरी FIR रद्द करने की अपील की है.

भोपाल से कांग्रेस विधायक (Congress MLA) आरिफ मसूद ने याचिका में दलील दी है कि उन्होंने सभा में कोई भड़काऊ और धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसा भाषण नहीं दिया था. इसलिए एक ही वक्त में एक ही स्थल पर दो अलग अलग FIR न्याय संगत नहीं हैं

जबलपुर. जबलपुर (Jabalpur) हाई कोर्ट ने फ्रांस मामले में भोपाल में बिना अनुमति प्रदर्शन और भड़काऊ भाषण देने के मामले में कांग्रेस विधायक विधायक (Arif Masood) आरिफ मसूद  की याचिका पर सरकार सहित शिकायतकर्ता को नोटिस दिया है.कोर्ट ने सरकार समेत शिकायतकर्ता से दोनों से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है. अपनी याचिका में आरिफ मसूद ने उन पर 4 नवंबर को दर्ज दूसरी FIR रद्द करने की मांग की है.

भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने याचिका में दलील दी है कि उन्होंने सभा में कोई भड़काऊ और धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसा भाषण नहीं दिया था. इसलिए एक ही वक्त में एक ही स्थल पर दो अलग अलग FIR न्याय संगत नहीं हैं.मसूद ने ये भी कहा कि उनके खिलाफ शिकायत करने वाले डॉक्टर दीपक रघुवंशी आख़िर हैं कौन ? वो तो उस वक्त प्रदर्शन स्थल पर मौजूद नहीं थे. इसलिए वो शिकायत कैसे कर सकते हैं.

HC ने दी थी अग्रिम ज़मानत
इससे पहले 27 नवंबर को जबलपुर हाईकोर्ट (HC) ने मसूद को 50 हज़ार के निजी मुचलके पर अग्रिम ज़मानत दे दी थी. उन्हें जांच में सहयोग करने और बिना अनुमति भोपाल ना छोड़ने की शर्त पर ज़मानत मिली थी. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था-निर्वाचित जनप्रतिनिधि के फरार होने की आशंका नहीं है.आरिफ मसूद पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का केस दर्ज है. भोपाल के इक़बाल मैदान में फ़्रांस के ख़िलाफ प्रदर्शन के दौरान उन्होंने जो भाषण दिया था, उसे भड़काऊ माना गया. उसके बाद मसूद पर गैर ज़मानती धाराओं में केस दर्ज किया गया था. मसूद की ओर से इस केस में दलील पेश की गई थी कि पुलिस ने 29 अक्टूबर को कलेक्टर ऑर्डर के उल्लंघन की FIR दर्ज की थी. उसके बाद 4 नवम्बर को सरकार ने जानबूझकर उनके खिलाफ भड़काऊ भाषण की FIR दर्ज करवाई.भोपाल के इक़बाल मैदान में भड़काऊ भाषण को लेकर मुकदमा दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए मसूद ने अग्रिम ज़मानत के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी.





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