भास्कर पड़ताल: पानी के लिए हर महीने 6 लाख खर्च कर रही नपा, आपसे वसूल रही टैक्स और निजी कंपनी से किया सौदा

भास्कर पड़ताल: पानी के लिए हर महीने 6 लाख खर्च कर रही नपा, आपसे वसूल रही टैक्स और निजी कंपनी से किया सौदा


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शाजापुर8 घंटे पहले

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  • मंत्री बोले- ऐसा नहीं चलेगा, निकायांे ने गलत एग्रीमेंट किया, जांच कराएंगे

स्थानीय व्यापारियों को कारोबार शुरू करने के लिए लाखों रुपए की पगड़ी लेकर तय किराए पर दुकानें बेचने वाली नगर पालिका ने नासिक की कंपनी प्रथमेश इंटरप्राइजेस पंचवटी नासिक मुफ्त में ही जगह देेकर लाखों रुपए महीने का मुनाफा दिलाने का कमाल कर दिखाया है। नपा के फिल्टर पानी को कंपनी ने अपने स्तर से बेचकर हर महीने 2.50 लाख रुपए की कमाई शुरू कर दी।

इसमें सबसे खास बात यह है कि निजी कंपनी ने नपा के फिल्टर पानी को अपने आरओ सिस्टम में डालकर सप्लाई करने के लिए वहां शेड बनाकर जो सिस्टम लगाया। उसकी कीमत भी वह नपा से ही वसूल रही है।

इसमें लोगों को गुमराह करने के लिए कंपनी ने ऐसा फामूर्ला तैयार किया कि निकाय के अधिकारी भी बातों में आ गए। एग्रीमेंट के मुताबिक नासिक की यह निजी कंपनी शहर में बेचे जाने वाले पानी से होने वाली कमाई का 10 प्रतिशत हिस्सा नगर पालिका को देगी। अगले 10 साल तक इसी शर्त पर वह सरकारी मशीनरी से फिल्टर हुए पानी को बेचकर मुनाफा कमाती रहेगी।

इसके बाद वह मशीन नपा के हैंडओवर कर देगी, लेकिन इसका दूसरा पहलू देखें तो नपा को कंपनी जो 10 प्रतिशत राशि देने की बात कर ही रही है, वह उक्त शेड व आरओ सिस्टम को लगवाने में आई लागत में समायोजित कर रही है। यानी इस हिसाब से तो मशीन और शेड भी नगर पालिका का ही हुआ। फिर कंपनी हर माह लाखों रुपए क्यों कमा रही है। इसको लेकर सवाल खड़े करने पर अधिकारी जवाब देने की स्थिति में भी नहीं है।

नपा के नाम से कारोबार कर रही कंपनी

पूरी तरह से सरकारी मशीनरी का उपयोग कर पानी बेचने वाली कंपनी ने मार्केटिंग में आसानी हो, इसलिए एक नया दाव और खेला। कंपनी के नाम से पहले बड़े अक्षरों में उन्होंने चलित वाहनों व वाटर एडीएम पर भी नगर पालिका का नाम अंकित करा दिया। ताकि शहरवासियों को ऐसा लगे कि यह व्यवस्था नगर पालिका की है। जबकि यह पूरा कारोबार निजी कंपनी का है।

निजी कंपनी के माध्यम से पानी बेचने का ऐसा खेल प्रदेश की करीब 40 नगरीय निकायों में चल रहा है। निकायों से हुआ यही एग्रीमेंट दिखाकर निजी कंपनी काम शुरू करती है। यदि हर निकाय से औसतन 2 लाख रुपए की आमदनी हो तो कंपनी की कमाई का आंकड़ा औसत 80 लाख रुपए महीना हो जाएगा।

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  • 10 हजार घरेलू कनेक्शन हैं शहर में जिनसे 100 रु. प्रतिमाह जलकर आता है प्रत्येक घर से
  • 25 हजार रुपए औसतन खर्च आता नपा को वाटर एटीएम लगाने में
  • 03 लाख रुपए बिजली बिल और
  • 03 लाख औसत खर्च होते हैं ब्लीचिंग व एलम पर नपा की मशीनरी के अलावा
  • 03 हजार व्यावसायिक कनेक्शन हैं शहर में प्रत्येक कनेक्शन पर 200 रुपए प्रतिमाह जलकर लगता है

पानी साफ करने के लिए इतनी मशक्कत

पानी फिल्टर करने के लिए नपा को खासी मशक्कत करना पड़ती है। चीलर डेम का पानी नहर व नदी में बहाकर वाटर वर्क्स के पीछे तक लाया जाता है। यहां से बिजली मोटर से लिफ्ट कर पानी वाटर वर्क्स में लाया जाता है। एलम व ब्लीचिंग डालकर पानी को साफ करने के बाद पानी फिल्टर प्लांट में ले जाया जाता है। इसके बाद साफ पानी की सप्लाई होती है।

एग्रीमेंट की फाइल फिर से देखता हूं

इससे नपा को इतना नुकसान नहीं है। कई निकायों ने ऐसा एग्रीमेंट किया है। उक्त कंपनी से हमने जो एग्रीमेंट किया है उसे पूरा पढ़कर एक बार फिर से जांच करेंगे। सारी शर्तों को एनॉलिसिस करने के बाद नए सिरे से निर्णय लेंगे।

-भूपेंद्र दीक्षित, सीएमओ नगर पालिका शाजापुर

निकायों ने गलत एग्रीमेंट किया

सरकारी मशीनरी से फिल्टर किए गए पानी को अपने आरओ के माध्यम से निजी कंपनी के माध्यम से बेचने की जो बात सामने आई है, उसे देखते ऐसा लग रहा है कि निजी कंपनी ने अधिकारियों से सांठगांठ कर निकायों से एग्रीमेंट करा लिया है, जो गलत है। इसकी नए सिरे से जांच कराएंगे। ताकि सरकारी मशीनरी का उपयोग कर निजी कंपनी अपना काम न कर सके।

-इंदरसिंह परमार, स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री, स्वतंत्र प्रभार मप्र शासन



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