पुलिस विभाग की बैठक में खुलासा हुआ कि हजारों जांच पेंडिंग हैं.
डीजीपी (DGP) ने विभाग के काम की समीक्षा की थी. उसमें पाया गया कि एक अक्टूबर तक पुलिस विभाग में 1256 विभागीय जांच पेंडिंग हैं. इनमें से 584 विभागीय जांच एक साल से ज्यादा समय से अटकी हुई हैं.
पुलिस महानिदेश विवेक जौहरी का ये आदेश सभी विशेष पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, उप पुलिस महानिरीक्षक और पुलिस इकाइयों के लिए है. इस आदेश में कहा गया है कि एक वर्ष से अधिक समय से पेंडिंग विभागीय जांच प्रकरणों का निपटारा 45 दिन में हो जाना चाहिए. अगर इसके बाद भी कोई केस पेंडिंग रह जाता है तो संबंधित जांचकर्ता अधिकारी और प्रस्तुतकर्ता अधिकारी का स्पष्टीकरण लिया जाएगा और फिर उनके विरूद्ध जोन महानिरीक्षक कार्रवाई तय करें.
समीक्षा में हुआ खुलासा
डीजीपी ने विभाग के काम की समीक्षा की थी. उसमें पाया गया कि एक अक्टूबर तक पुलिस विभाग में 1256 विभागीय जाँच पेंडिंग हैं. इनमें से 584 विभागीय जांच एक साल से ज्यादा समय से अटकी हुई हैं. पुलिस विभाग की कार्यक्षमता बनाए रखने के लिए काम सुचारू रूप से चलता रहे इसके लिए समय पर जांच होना ज़रूरी है.45 दिन का अल्टीमेटम
पहले चरण में एक नवंबर 2020 की स्थिति में एक साल से ज्यादा समय से पेंडिंग विभागीय जांच अगले 45 दिन में पूरी करने का आदेश डीजीपी ने दिया है. अगर जांच में शामिल पुलिस कर्मचारी या अधिकारी का इस बीच ट्रांसफर कर दिया गया है तो उस ज़िले या इकाई के हेड उस कर्मचारी को जांच में शामिल होने के लिए तुरंत रवाना करें. इसकी सूचना पुलिस मुख्यालय को फौरन देना होगी.
ऐसी रहेगी व्यवस्था…
-राजपत्रित अधिकारियों के रवानगी आदेश की प्रति ईमेल aig_admin@mppolice.gov.in पर और अराजपत्रित अधिकारी/कर्मचारियों के रवानगी आदेश की प्रति ईमेल aig_admin2@mppolice.gov.in पर भेजी जाएगी.
-शासकीय सेवक को रवानगी मिलने के बाद 24 घण्टे में संबंधित जांच दफ्तर में पहुंचना होगा. जांच का काम 30 दिन में पूरा करना होगा.
-जांच में शामिल कर्मचारी-अधिकारी को इस दौरान छुट्टी नहीं मिलेगी. कोई इमरजेंसी होने पर ही छुट्टी मंजूर की जाएगी.
-अगर कर्मचारी विभागीय जांच प्रकिया में असहयोग करता है तो उसके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जा सकती है.