विश्व दिव्यांग दिवस पर विशेष: इन्होंने हौसला दिखाया और अपने पैरों पर खड़े होकर रहे हैं कारोबार

विश्व दिव्यांग दिवस पर विशेष: इन्होंने हौसला दिखाया और अपने पैरों पर खड़े होकर रहे हैं कारोबार


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शाजापुर13 मिनट पहले

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  • सामाजिक न्याय विभाग करेगा आज 30 होनहार दिव्यांगों का सम्मान

विश्व दिव्यांग दिवस पर शहर व जिले के ऐसी दिव्यांग हस्ती को परिचित करवा रहे हैं। इनके शरीर में बचपन से ही दिव्यांगता थी, परंतु हौसला भरपूर था।

कई बार धिक्कार और अपमान की पीड़ा को पीने के बाद अपने हौसलों से ऐसी उड़ान भरी के पूरे परिवार का लालन-पालन भी संभाल लिया और अपने पैरों पर खड़े होकर शासन की योजना का फायदा नहीं लेते हैं, बल्कि शासन काे टैक्स भरते हैं। ऐसी हस्तियाें का सामाजिक न्याय विभाग द्वारा उत्कृष्ट विद्यालय के नए हाॅल में स्वेटर, शाल, श्रीफल स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया जाएगा।

इनके साथ छोटे बच्चे सहित 30 दिव्यांगाें का सम्मान हाेगा। कोविड-19 के कारण इस बार कार्यक्रम सोशल डिस्टेंस के साथ होगा। इसमें प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार, कलेक्टर दिनेश जैन, डिप्टी कलेक्टर और सामाजिक न्याय प्रभारी उप संचालक प्रियंका वर्मा, जिला संयोजक नरेंद्र तिवारी, नोडल हेमंत दुबे उपस्थित रहेंगे।

1. दाेनाें पैर नहीं, खुद के दम पर खाेला शोरूम

रतनसिंह प्रदेश के संभवतः ऐसे अकेले व्यक्ति हैं, जिन्होंने दोनों पैरों की दिव्यांगता को पराजित कर प्रकृति काे टक्कर दी है। अपनी जन्मजात अपंगता के बावजूद इन्होंने आज अपने स्वयं का इलेक्ट्रानिक शोरूम राधा टॉकीज क्षेत्र में स्थापित किया। शहर के पास ग्राम गोपीपुर लोहरवास के निवासी रतन सिंह 1992 में जब अध्ययनरत थे, तभी उन्होंने पढ़ाई के साथ परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी संभाल ली।

कुर्सियां बुनने का काम शुरू किया। अपने पैरों पर खड़े होने के जुनून के चलते कारोबार के लिए आवश्यक धन राशि तक नहीं होने के बावजूद प्रकृति के अभिशाप को अंगूठा दिखाते हुए कुर्सी बुनने के कारोबार के बाद टीवी बेचना शुरू किया। यह सिलसिला कई वर्षों तक चला और जब अच्छी खासी राशि इकट्ठी हो गई तो उन्होंने इलेक्ट्रानिक शोरूम की स्थापना की।

2. परिस्थिति के कारण ग्रेजुएशन नहीं कर पाए हनीफ

हनीफ मंसूरी बाएं पैर में पोलियो होने के बाद भी सोमवारिया में घर के नीचे ही एमपी ऑनलाइन और सीएससी सेंटर संचालित करते हैं। आर्थिक कारणों से उनका ग्रेजुएशन भी पूरा नहीं हुआ और बीएससी सेकंड ईयर कम्प्यूटर साइंस में करते हुए 2015 में छोड़ दिया।

तभी अपनी दुकान डाली और घर परिवार की जिम्मेदारी उठाने लग गए। क्योंकि उनके पिता भी नहीं थे तथा सबसे छोटे भाई का एक्सीडेंट हो गया था। 2019 में शादी की और लगातार परेशानियों से लड़कर आगे बढ़ रहे हैं। पोलियो की खुराक पीने के बावजूद भी पैर इतना पतला रह गया था कि वह चल नहीं सकते। लेकिन हौसला रखा और आगे बढ़ते रहे।



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