धर्म स्वातंत्र्य विधेयक: MP में दूसरे राज्यों से ज्यादा सख्त होगा कानून, धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरु को होगी 5 साल की सजा

धर्म स्वातंत्र्य विधेयक: MP में दूसरे राज्यों से ज्यादा सख्त होगा कानून, धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरु को होगी 5 साल की सजा


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18 मिनट पहले

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धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 के प्रस्तावित ड्राप्ट को फाइनल करने लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चाैहान ने शुक्रवार देर शाम बैठक बुलाई थी, लेकिन सीएम की व्यस्तता के चलते बैठक नहीं हो पाई।

  • विश्व हिंदू परिषद व हिंदू जागरण मंच के सुझाव को बिल में जोड़ने की तैयारी
  • नाबालिग लड़की से शादी करने पर अतिरिक्त सजा का प्रावधान भी होगा

मध्य प्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक के प्रावधान अन्य राज्यों से ज्यादा सख्त होंगे। मप्र सरकार धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरु को 5 साल की सजा का प्रावधान इस विधेयक में शामिल करने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा पीड़िता के नाबालिग होने पर दोषी के लिए अतिरिक्त सजा का प्रावधान भी किया जा सकता है।

इसको लेकर विश्व हिंदू परिषद और हिंदू जागरण मंच ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुझाव दिए थे। इस प्रस्तावित विधेयक को लेकर मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को देर शाम बैठक बुलाई थी, लेकिन मुख्यमंत्री की व्यस्तता के चलते स्थगित कर दिया गया। संभवत यह बैठक शनिवार को हो सकती है। जिसमें प्रस्तावित विधेयक का प्रजेंटेशन किया जाएगा।

मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि पीड़िता के नाबालिग होने पर दोषी को और भी सख्त सजा भुगतना पड़ सकती है। इसके लिए पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्सुअल अफेंस) एक्ट के तहत मिलने वाली सजा को इस विधेयक में शामिल किया जा सकता है। यानी दोषी के लिए दो अलग-अलग सजा का प्रावधान होगा।

यूपी सरकार ने धर्म स्वातंत्र्य कानून अध्यादेश के माध्यम से लागू कर दिया है। जिसमें धर्म छिपाकर किसी को धोखा देकर शादी करने पर 10 साल की सजा है, लेकिन पीड़िता नाबालिग होने पर अतिरिक्त सजा का प्रावधान नहीं है। बता दें कि शिवराज सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान 30 दिसंबर को इस विधेयक को सदन में पेश करेगी। इससे पहले मुख्यमंत्री की सैद्यांतिक सहमति लेकर प्रस्तावित विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी होना अभी बाकी है।

धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 के 10 प्रस्तावित बिंदु

1. बहला-फुसलाकर , धमकी देकर ज़बरदस्ती धर्मांतरण और विवाह पर 10 साल की सजा।

2.धर्मांतरण और धर्मांतरण के पश्चात होने वाले विवाह के 1 माह पूर्व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन प्रस्तुत करना होगा।

3.बगैर आवेदन प्रस्तुत किए धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरु , काजी , मौलवी या पादरी को 5 साल तक की सजा का प्रावधान होगा।

4.धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत स्वयं पीड़ित , माता- पिता, परिजन या अभिभावक द्वारा की जा सकती है।

5.यह अपराध संज्ञेय और गैर ज़मानती होगा ।

6.जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का पंजीयन निरस्त किया जाएगा ।

7. धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का पंजीयन भी निरस्त होगा ।

8. धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही न्यायिक कार्यवाही की जाएगी।

9. आरोपी को स्वयं ही प्रमाणित करना होगा कि शादी बगैर किसी दबाव, धमकी, लालच या फिर बहला-फुसलाकर की है।

10. इस प्रकार का विवाह शून्य माना जाएगा।



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