विरोध: राजघाट कॉलोनी निवेशक को देकर प्रदेश सरकार निवाड़ी में बनाएगी कलेक्टोरेट भवन

विरोध: राजघाट कॉलोनी निवेशक को देकर प्रदेश सरकार निवाड़ी में बनाएगी कलेक्टोरेट भवन


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टीकमगढ़/ओरछा2 घंटे पहले

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सिंचाई विभाग कॉलोनी के पास की 8 हेक्टेयर जमीन दी जाएगी निवेशक को।

  • ओरछा की जमीन बेचकर निवाड़ी में कलेक्टोरेट भवन को लेकर लोगों ने जताई नाराजगी

मप्र के 52वें जिले निवाड़ी में रिडेंसीफिकेशन पॉलिसी के तहत नए कलेक्टोरेट बनाए जाने की अनुमति मिली है। इसके लिए सरकार के पास उपलब्ध जमीन को निजी निवेशकों को देकर उनसे काम कराया जाएगा। इसके बदले में निवेशक को पर्यटन नगरी ओरछा की कुछ जमीन दी जाएगी। जिसका निवेशक व्यावसायिक उपयोग कर सकेगा। इसके लिए साधिकार समिति ने हरी झंडी दे दी है।

ऐसे में ओरछा की जमीन निवेशक को देने की जानकारी लगते ही स्थानीय लोगों में इसका विरोध भी दिखाई दिया। लोगों का कहना है कि अगर ओरछा की जमीन बेचकर निवाड़ी जिले का कलेक्टोरेट भवन तैयार किया जाना है, तो फिर कलेक्टोरेट भवन निवाड़ी की जगह ओरछा में ही बनाया जाए।

निवाड़ी जिले की कलेक्टोरेट के निर्माण के लिए मप्र की शिवराज सरकार ने विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी ओरछा की बेशकीमती अरबों रुपए की जमीन निवेशकों को बेच कर निवाड़ी में भवन निर्माण का प्रस्ताव पास किया है। इस बात को लेकर शनिवार को क्षेत्र सहित स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिला। प्रदेश की भाजपा सरकार की साधिकार समिति में मिली मंजूरी के अनुसार ओरछा में स्थित सिंचाई विभाग की कॉलोनी में करीब अट्ठारह हेक्टेयर सरकारी जमीन है। जिसकी कीमत लगभग 50 करोड़ आंकी गई है।

इसे निवेशक को देखकर निवाड़ी में कलेक्टोरेट बनाने की योजना है। इसके साथ ही कर्मचारियों के आवास भी बनाए जाएंगे। इस पूरे काम की लागत करीब 37 करोड़ों रुपए अनुमानित है। प्रस्ताव मंजूर होने के बाद अब आगे की प्रक्रिया में करीब तीन से चार महीने का समय लगने की संभावना है। डीपीआर बनने के बाद बेड बुलाई जाएगी।

ओरछा में राजघाट कालोनी का निर्माण जनवरी 1981 में उस समय तत्कालीन कांग्रेस विधायक रामरतन चतुर्वेदी के प्रयासों से तत्कालीन उपमुख्यमंत्री एवं जल संसाधन मंत्री शिवभान सिंह सौलंकी ने किया था। राजघाट नहर परियोजना के लिए ओरछा में विकास की नई कड़ी जोड़ने के लिए इसे स्थापित किया था। कॉलोनी में अभी 75 कमरे हैं।

स्थानीय लोगों ने लगाया आरोप, कहा- भाजपा सरकार की ओरछा की संपत्ति को लेकर मंशा अच्छी नहीं

पर्यटन नगरी ओरछा की बेशकीमती अरबों की जमीन निवेशकों को बेचकर उस राशि से निवाड़ी में कलेक्टोरेट भवन एवं कर्मचारी आवास निर्माण कराए जाने के प्रस्ताव को लेकर स्थानीय लोगों में विरोध दिखाई दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि ओरछा में पहले से ही कई विकास योजनाओं के लिए भूमि उपलब्ध नहीं है। अब मप्र की सरकार द्वारा ऐसे में ओरछा की राजघाट कालोनी निवेशकों को देना बिल्कुल गलत है।

कांग्रेस नेता और पूर्व प्रत्याशी बालकृष्ण दुबे का कहना है कि अगर प्रदेश सरकार को धार्मिक नगरी ओरछा की भूमि का उपयोग करना है, तो यहीं पर कलेक्टोरेट निर्माण किया जाए। अगर निवाड़ी में कलेक्टोरेट भवन निर्माण करना है, तो मप्र सरकार अपने बजट से काम करवाएं। राम नगरी की भूमि बेचकर निवाड़ी जिले का विकास नहीं करें। दुबे ने कहा कि कि भाजपा सरकार की ओरछा की अचल संपत्ति को लेकर मंशा अच्छी नहीं है।

अगर स्थानीय राजघाट कोलोनी निवेशकों को देकर उससे आने वाला पैसा निवाड़ी में लगाया गया, तो लोगों के साथ मिलकर जन आंदोलन किया जाएगा। वहीं आनंद झलोनिया ने बताया पर्यटन नगरी की भूमि का उपयोग वहीं की विकास योजनाओं में किया जाए। किसी भी हाल में ओरछा की बेशकीमती शासकीय भूमि निवेशकों को देकर उसका पैसा निवाड़ी ले जाकर कलेक्टोरेट का निर्माण करना ओरछा क्षेत्र के साथ अन्याय होगा।

निवाड़ी कलेक्टोरेट बनाने के लिए ओरछा की जमीन लेंगे

साधिकार समिति की बैठक में निर्णय लिया गया है कि निवाड़ी प्रदेश का सबसे नया जिला है। यहां कलेक्टोरेट के निर्माण के लिए जिले के पर्यटन क्षेत्र ओरछा की जमीन का उपयोग करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

ओरछा में सिंचाई विभाग की कॉलोनी में करीब आठ हेक्टेयर सरकारी जमीन है। इसकी कीमत लगभग 50 करोड़ रुपए आंकी गई है। इसे निवेशक को देकर निवाड़ी में कलेक्टोरेट बनवाने की योजना है। इसके साथ ही कर्मचारियों के आवास भी बनेंगे। इस काम की लागत करीब 37 करोड़ रुपए अनुमानित है। इन दोनों प्रस्तावों के मंजूर होने के बाद अब आगे की प्रक्रिया में तीन से चार महीने लगने की संभावना है। डीपीआर बनने के बाद बिड बुलाई जाएगी।

पुलिस बल मिलते ही वहां का अतिक्रमण हटा दिया जाएगा

तहसीलदार कमल मंडेलिया ने बताया कि कलेक्टोरेट भवन आवास के लिए भूमि देने का प्रस्ताव दे दिया गया है। इसके लिए निवाड़ी रेल्वे स्टेशन के समीप हर्षमऊ में करीब 3.5 हेक्टेयर भूमि प्रस्तावित की गई है। उन्होंने बताया कि 60 बिस्तर वाले अस्पताल के लिए भी भूमि चिहिंत कर दी गई है। इस भूमि पर कुछ लोगों को बेजा कब्जा है जिसे हटाने की कार्यवाही की जाना है। मंडेलिया के अनुसार पुलिस बल मिलते ही वहां का अतिक्रमण हटा दिया जाएगा।



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