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इंदौर21 मिनट पहले
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अस्थियां लेने पहुंचे परिजनों ने हंगामा किया, लेकिन उन्हें अंत में खाली हाथ ही लौटना पड़ा।
रीजनल पार्क मुक्तिधाम में अस्थियां बदलने की गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। सोमवार को एक शव के परिजन तीसरे का क्रियाकर्म करने पहुंचे तो घटना का खुलासा हुआ। परिजनों ने अस्थियां मांगते हुए हंगामा किया, लेकिन उन्हें खाली हाथ ही घर लौटना पड़ा।
महादेव नगर निवासी कमलेश सेलवान के अनुसार 5 दिसंबर को दादी कड़वी बाई सेलवान (85) का दोपहर 2 बजे रीजनल पार्क मुक्तिधाम में 11 नंबर प्लेटफॉर्म पर अंतिम संस्कार किया था। सोमवार को तीसरे का क्रियाकर्म करने पहुंचे तो वहां की साफ-सफाई हो चुकी थी। हम जिम्मेदारों के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा – रविवार को आपके कुछ परिजन आए थे, वे अस्थियां लेकर चले गए। हमने कहा कि हमारे तो सभी परिजन आपके सामने ही खड़े हैं, आपने किसको अस्थियां दे दी। अब बिना अस्थियों के तीसरे व 12वें का आयोजन कैसे होगा? कोई और दूसरे की अस्थियां कैसे ले जा सकता है।

पर्ची लेकर नहीं आने से गफलत में कर्मचारियों ने दूसरे की अस्थियां दे दी।
पर्ची नहीं लाए तो अंदाजे से कर्मचारियों ने उठवा दी अस्थियां
रीजनल पार्क मुक्तिधाम विकास समिति ट्रस्टी राम शंकर वर्मा ने बताया 5 दिसंबर को ही खरगोन के रहवासियों ने 11 नंबर प्लेटफॉर्म के पास अंतिम संस्कार किया था। उनके कुछ परिजन इंदौर में ही रहते हैं तो वे रविवार को अस्थियां लेने आए थे, लेकिन पर्ची नहीं लाए। निगम कर्मचारी ने अंदाजे से 11 नंबर वाली अस्थियां ले जाने के लिए कह दिया।
जो परिजन गलती से अस्थियां ले गए, उन्होंने मांगी माफी
निगम के कर्मचारी हरिशंकर कुशवाह ने बताया मैं रजिस्टर का रखरखाव करता हूं। फिलहाल अंतिम संस्कार का बहुत लोड है। खरगोन वालों के परिजन आए थे, लेकिन वो पर्ची लेकर नहीं आए। रसीद की गलतफहमी में वे कड़वीबाई की अस्थियां लेकर चले गए और विसर्जन कर दिया। हमने दोनों परिवारों को आमने-सामने बुलाया। खरगोन के परिवार वालों ने कड़वीबाई के परिजन से माफी मांगी और कहा कि यह तो पुण्य का काम है। हमने अस्थियों का विधि-विधान से शिप्रा में विसर्जन किया है। फिर वे अपने परिजन की अस्थियां भी विसर्जन करने के लिए ले गए।