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भोपाल42 मिनट पहले
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अहिराई नृत्य की प्रस्तुति देते लोक कलाकार।
- जनजातीय संग्रहालय में हुआ बघेली गायन और अहिराई लोकनृत्य
जनजातीय संग्रहालय में ‘गमक’ श्रृंखला के अंतर्गत अर्चना पाण्डे ने ‘बघेली गायन’ और प्रजीत कुमार साकेत ने ‘अहिराई लोकनृत्य’ की प्रस्तुति दी। शुरुआत अर्चना पाण्डे ने गणेश वंदना से की। उसके बाद सोहर, नचन हाई, मंडप छावन, पूड़ी बेलन हाई, सुहाग, बिदाई, परछन, दादरा और होली गीत आदि विवाह संस्कार गीतों की प्रस्तुति दी।
कलाकार परिचय
अर्चना पाण्डे बचपन से ही बघेली लोक गायन करती आ रही हैं। संगीत की शिक्षा अपनी मां मंगला मिश्रा से ग्रहण की। अर्चना आकाशवाणी एवं दूरदर्शन की कलाकार हैं। इन्होंने देश की विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुति दी है। दूसरी प्रस्तुति में प्रजीत कुमार साकेत और साथियों सीधी द्वारा ‘अहिराई लोकनृत्य’ की प्रस्तुति हुई।
अहिराई नृत्य के बारे में
नृत्य में बिरहा गायन के साथ महिला और पुरुष दोनों नृत्य करते हैं| यह नृत्य यादव जाति की सांस्कृतिक पहचान है। विशेष रूप से शादी ब्याह के अवसर पर महिला-पुरुष द्वारा इस नृत्य को प्रतिस्पर्धा रूप में किया जाता है। यह प्रदर्शन लड़का-लड़की को अपने लिए सही जीवन साथी चुनने की आजादी देता है। नृत्य में नगड़िया व शहनाई वाद्ययंत्र का उपयोग किया जाता है, महिलाएं: कछनीदार धोती, बिछिया और करधन आदि आभूषण पहनती हैं, तो पुरुष: जामाजोरा, डोर-चौरासी और साफा पहन कर नृत्य करते हैं।