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- Road From Birsamunda Tiraha To The Boundary Of The Project In Deadly Condition, The Entire Road Washed Away
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जबलपुर24 मिनट पहले
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जर्जर सड़क- अधारताल के आगे बढ़ने के साथ ही सड़क तकरीबन गायब सी हो जाती है।
- शहर के अंदर के साथ कुछ बाहर जाने में भी सड़क ले रही अच्छी खासी परीक्षा, करौंदा बायपास के नजदीक गड्ढों से हालत पस्त
शहर के अंदर दर्जनों ऐसी सड़कें हैं जिनमें चलने के दौरान लोग तकलीफें झेल रहे हैं तो शहरी सीमा से कुछ बाहर निकलने के दौरान भी इसी तरह के हालात हैं। बिरसामुण्डा तिराहा से परियट की सीमा तक सड़क एकदम बर्बाद और बदतर स्थिति में पहुँच चुकी है। इस 6 किलोमीटर के करीब मार्ग में हर पल मुसीबतों भरे गड्ढे हैं। एक पल गुजरने के दौरान आदमी को यहाँ पर चैन नहीं है। सड़क की हालत देखकर लगता है कि निकट भविष्य में भी कोई सुधार नहीं होने वाला। कई बार तो चलने के दौरान दो पहिया वाहन चालक को गड्ढों से बचते हुये रास्ता तलाशना पड़ता है। ऊपरी सील कोट पूरी तरह से दम तोड़ चुका और गड्ढे ज्याद गहरे होने से दुर्घटना की अशंका हर पल बनी रहती है।
अधारताल से आगे पहले यह मार्ग आधा शहरी और आधा ग्रामीण हिस्से में आता था पर अब पूरी तरह से नगर निगम के दायरे में आ गया तो भी किसी तरह का सुधार इसमें सालों से नहीं हो सका है। सड़क को चौड़ा करने पर्याप्त जगह आसपास है। अतिक्रमणों को अलग करने की बजाए सीधे निर्माण हो सकता है लेकिन लंबे अरसे से इस बदतर और बर्बाद हो चुकी सड़क की कोई सुध लेने तैयार नहीं है।
हैवी ट्रैफिक, फोर लेन बने तभी राहत
लोगों का कहना है कि यह सड़क ट्रैफिक के लिहाज से बेहद उपयोगी है। इलाहाबाद, रीवा, कटनी, सिहोरा और आसपास के गाँवों से जो वाहन शहर के अंदर आना हो तो इसी से आते हैं। इसी तरह बाहर जाने में भी उपयोग की जाती है। आसपास काॅलोनियों के साथ बढ़ती बसाहट के हिसाब से यातायात का दबाव है। सभी लिहाज से इसका उद्धार किया जाना बेहद जरूरी है। करौंदा तिराहा तक तो महसूस भी नहीं होता है कि किसी शहरी सीमा की सड़क में चल रहे हैं। इस मार्ग को चौड़ा कर फोर लेन के अंदाज में विकसित किया जाए तभी जनता को कुछ राहत मिल सकती है।
एक नजर इस पर
- 6 किलोमीटर में दशा ज्यादा खराब
- सुबह और शाम के वक्त धूल ज्यादा
- सभी मौसम में मार्ग में जानलेवा हालात
- पहले ग्रामीण सीमा थी यह सड़क
- अब नगर निगम के पास तो भी हाल वैसा ही
- कुछ हिस्सा बायपास में आया तो भी सुधार नहीं
धूल भी जान लेने उतारू
इस मार्ग में अधारताल की सीमा आरंभ होते ही करौंदा तिराहा, परियट और आगे पनागर तक सड़क में उड़ती धूल ने भी लोगों की नाक में दम कर दिया है। जो दो पहिया वाहन चालक यहाँ से निकलता है वह एकदम धूल में नहा जाता है। कोरोना संक्रमण काल में तो धूल की वजह से आदमी बेचैनी महसूस करने लगता है। सड़क गड्ढों से धूल उगल रही है तो किनारे के हिस्सों से भी धूल आसपास की दुकानों और घरों में समा रही है। एक प्रकार से इस मार्ग में हर पल निकलने के दौरान आम आदमी परीक्षा से गुजर रहा है।
प्लान बना पर अमल नहीं
बताया जाता है कि इस मार्ग को कुछ साल पहले परियट की सीमा तक फोर लेन बनाने प्लान बना। इस पर कुछ काम होते दिखा भी पर इसमें गंभीरता से अमल नहीं हो सका। अब इस सड़क को जल्द से जल्द सुधार के साथ चौड़ी किये जाने की माँग उठ रही है। यदि मार्ग को नया बनाया नहीं जाता है तो कम से कम चलने लायक ही बना दिया जाए।