कोरोना: जिले में 8 महीने में 355 बच्चों की मौत, 224 एक महीना भी नहीं जी सके

कोरोना: जिले में 8 महीने में 355 बच्चों की मौत, 224 एक महीना भी नहीं जी सके


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झाबुआ9 मिनट पहले

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  • एएनएम नहीं होने से दो साल से 38 उप स्वास्थ्य केंद्र बंद, बच्चों के डॉक्टर जरूरत से आधे, एसएनसीयू सिर्फ एक

जिले में बच्चों की मौत का आंकड़ा दो साल में फिर बढ़ गया। हर दो दिन में एक साल से कम उम्र के 3 बच्चों की मौत हो रही है। इनमें से 70 प्रतिशत बच्चे एक महीने की जिंदगी भी नहीं जी पा रहे। इस साल अप्रैल से अब तक 355 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें से 224 एक महीने से छोटे थे। जिले में शिशु मृत्यु दर में सुधार 2017-18 में हुआ था। तब 302 बच्चों की सालभर में मौत हुई। साल 2018-19 में ये संख्या 530 हाे गई और 2019-20 में आंकड़ा 862 पर पहुंच गया।

मौतों के पीछे दो बड़े कारण

एक ही एसएनसीयू, बच्चों के लिए डॉक्टर भी आधे

जिले में हर साल सैकड़ों नवजात और शिशुओं की मौत हो रही है। लेकिन एसएनसीयू सिर्फ एक ही है। जिला अस्पताल के इस एसएनसीयू (सिक न्यूबोर्न केयर युनिट) की क्षमता 20 बच्चों की हैं। जबकि हर समय यहां क्षमता से ज्यादा बच्चे होते हैं।

सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में इस एसएनीयू में 24 बच्चों की मौत हो चुकी है। 2019 में एसएनसीयू में 1253 नवजात भर्ती किए गए थे। यहीं भर्ती (इनबोर्न) के 25 और बाहर से लाए गए (आउटबोर्न) के 170 बच्चों की मौत हुई थी। साल 2018 में 1072 भर्ती किए गए बच्चों में से 210 यहां जन्मे थे और 862 बाहर से लाए गए थे। इनबोर्न 33 और आउटबोर्न 161 बच्चे मौत के शिकार हुए थे। जिले में शिशु रोग विशेषज्ञ 10 चाहिए, लेकिन हैं सिर्फ पांच। ये सभी जिला अस्पताल में हैं।

6 साल 8 महीने में 3237 बच्चे एक साल भी नहीं जी सके

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अप्रैल 2014 से दिसंबर 2019 तक 6 साल 8 महीने के आंकड़ों से पता चलता है कि इस दौरान 3237 बच्चों की मौत हो गई, जिनकी उम्र एक साल से भी कम थी। इनमें भी 1806 ऐसे थे जो एक महीने की उम्र भी पूरी नहीं कर पाए। 2016-17 में हर दिन एक से ज्यादा बच्चे की मौत औसत हुई। 2017-18 में ये औसत 0.83, 2018-19 में 1.45 और 2019-20 में 2.36 रहा। इस साल अब तक ये औसत 1.45 है।

38 उप स्वास्थ्य केंद्र बंद : जिले में 293 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें से 38 हमेशा बंद रहते हैं। यहां के लिए स्टाफ नहीं है। सरकार ने बिल्डिंग बना दी और उपकरण दे दिए। उप स्वास्थ्य केंद्र का काम ये भी होता है कि गर्भवती महिलाओं का समय पर टीकाकरण, उनकी सेहत की देखभाल और नवजात बच्चों का टीकाकरण कर उनके सेहत पर नजर रखी जाए। लेकिन लगभग 1 लाख 15 हजार की आबादी को ये सुविधा नहीं मिल रही।



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