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उज्जैन20 मिनट पहले
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- स्टाफ से तालमेल नहीं बैठने और प्राइवेट अस्पताल से महिला के शव को शवगृह में नहीं रखवाने से जोड़ा जा रहा
सिविल सर्जन (सीएस) के प्रभार में रहते हुए विवादों में रहे ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. पीएन वर्मा को फिर से सिविल सर्जन का प्रभार दिया है। उनकी कार्यप्रणाली से डॉक्टर्स और स्टाफ में असंतोष रहा है। कोरोना काल के शुरुआती दिनों में मास्क, ग्लब्स व पीपीई किट उपलब्ध नहीं करवाने सहित अन्य मुद्दों को लेकर जिला अस्पताल के स्टाफ ने डॉ. वर्मा के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
इस दौरान डॉ. वर्मा अपनी कार लेकर हॉस्पिटल से रवाना हो गए थे। इसके बावजूद उन्हें दोबारा यह जिम्मेदारी दे दी गई।
कलेक्टर आशीष सिंह ने मंगलवार को आदेश जारी करते हुए डॉ. वर्मा को सिविल सर्जन का प्रभार दिया है। आदेश में लिखा है कि प्रशासकीय कार्य सुविधा की दृष्टि से आगामी आदेश तक अस्थायी रूप से डॉ. वर्मा को सिविल सर्जन का प्रभार तत्काल प्रभाव से सौंपा जाता है।
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. महेश मरमट को उक्त पद से हटा दिया है। अब वे हड्डी रोग विभाग में हड्डी रोग विशेषज्ञ के तौर पर अपनी सेवाएं देंगे।
जिला अस्पताल के स्टाफ से तालमेल नहीं बैठ पाने, इंचार्ज सिस्टर द्वारा कलेक्टर को शिकायत करने जिसमें जिला पंचायत सीईओ अंकित अस्थाना द्वारा जांच की जा रही है तथा प्राइवेट अस्पताल में सोमवार को महिला के शव को चूहों द्वारा कुतरने के मामले से इसे जोड़ा जा रहा है।
माधवनगर थाना पुलिस द्वारा जिला अस्पताल प्रशासन को पत्र लिखे जाने के बावजूद महिला के शव को जिला अस्पताल के शवगृह में नहीं रखवाया गया था। डॉ. मरमट का कहना है मेरे द्वारा अस्पताल की व्यवस्थाओं में लगातार सुधार किया जा रहा था, जिससे मरीजों को उचित इलाज मिलने लगा था।
स्टाफ समय पर अपनी सेवाएं दे रहा था। रही बात प्राइवेट अस्पताल से महिला के शव को जिला अस्पताल के शवगृह में रखवाने की तो यह कार्य प्राइवेट अस्पताल और पुलिस का है।