महापौर में किसकी टक्कर: इंदौर में ‘रमेश’ मंत्री या महापौर भाजपा को करना है तय, 20 साल से कुर्सी से दूर कांग्रेस क्या जाएगी ‘संजय’ के साथ

महापौर में किसकी टक्कर: इंदौर में ‘रमेश’ मंत्री या महापौर भाजपा को करना है तय, 20 साल से कुर्सी से दूर कांग्रेस क्या जाएगी ‘संजय’ के साथ


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इंदौर24 मिनट पहले

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भाजपा के रमेश मेंदोला और कांग्रेस के संजय शुक्ला का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में चल रहा है।

महापौर पद के लिए बुधवार को भेापाल में आरक्षण प्रणाली की शुरुआत हो गई। इंदौर में महापौर पद सामान्य के लिए आरक्षित हो गया है। सीट के सामान्य होने के बाद ही अब अगला महापौर कौन चर्चा शहर में चल पड़ी है। भाजपा में सबसे पहला नाम तीन बार के विधायक रमेश मेंदोला का लिया जा रहा है। वहीं, कांग्रेस में भी विधायक संजय शुक्ला के चेहरे पर दांव लगाने की चर्चा तेज हो गई है।

दोनों ही दलों भाजपा व कांग्रेस में दावेदारों की लंबी सूची है। भाजपा से रमेश मेंदोला, सुदर्शन गुप्ता, कृष्ण मुरारी मोघे, मधु वर्मा, गोपी नेमा तो कांग्रेस की ओर से जीतू पटवारी, संजय शुक्ला, छोटे यादव, विनय बाकलीवाल का नाम चर्चा में है। हालांकि भाजपा नए चेहरे पर भी दांव लगा सकती है। इसका ताजा उदाहरण शहर अध्यक्ष गौरव रणदिवे हैं, जिन्हें कई वरिष्ठों से वरीयता देते हुए उन्हें इस पद से नवाजा गया।

इसलिए इनकी दावेदारी सबसे मजबूत

  • रमेश मेंदोला : तीन बार के विधायक मेंदोला भाजपा के प्रदेश में सबसे ज्यादा वोटों से जीत दर्ज करने वाले विधायक हैं। उन्हें भाजपा का संकट मोचक भी कहा जाता है। शिवराज मंत्रीमंडल में शामिल होने वाले नेताओं में सबसे चर्चित नाम इन्हीं का था, लेकिन ऐनवक्त पर ऊषा ठाकुर को मंत्री पद से नवाज दिया गया। इसके बाद भी रमेश मेंदोला ने नाक का सवाल बन चुकी सांवेर सीट से तुलसी सिलावट को चुनाव प्रभारी बनकर 50 हजार से ज्यादा रिकार्ड मतों से जीत दिलवाई। उनकी तारीफ करते हुए सीएम शिवराज ने कहा था कि जिस दिन रमेश को प्रभारी बनाया उसी दिन सांवेर सीट जीत ली थी। ऐसे में या तो रमेश को मंत्रीमंडल में जगह दी जा सकती है या फिर महापौर का चुनाव लड़ाया जा सकता है।
  • सुदर्शन गुप्ता : दो बार विधायक रह चुके सुदर्शन गुप्ता का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है। वे शिवराज के साथ ही पूर्व लोस स्पीकर सुमित्रा महाजन के करीबी बताए जाते हैं। ऐसे रमेश को मंत्रीमंडल में लेकर गुप्ता को महापौर का चुनाव लड़ाया जा सकता है।
  • कृष्ण मुरारी मोघे : पूर्व महापौर मोघे की बात करें तो उनके अनुभव और संगठन में पकड़ के कारण वे चुनाव में टिकट पा सकते हैं।
  • गोपी कृष्ण नेमा : नेमा की संगठन में काफी पकड़ है। क्षेत्र में भी इनकी छवि अच्छी बताई जाती है। सुमित्रा ताई, सांसद शंकर लालवानी के करीबी बताए जाते हैं। इसके अलावा मंत्री ऊषा ठाकुर के भी करीबी हैं।
  • मधू वर्मा : विधानसभा चुनाव हार चुके वर्मा पर भी भाजपा दांव लगा सकती है। इसका कारण नगर निगम, आईडीए में रहते हुए उनके द्वारा किए गए काम हैं। इसके पहले भी वे महापौर का चुनाव लड़े थे, लेकिन मामूली अंतर से हार गए थे।

कांग्रेस में संजय पर लग सकता है दांव

  • जीतू पटवारी : जीतू पटवारी वर्तमान में कांग्रेस के बड़े चेहरों में शामिल हैं। इंदौर के साथ प्रदेश कांग्रेस में भी उनकी अच्छी खासी दखल है। ये राहुल गांधी के करीबी हैं। साथ ही कमलनाथ से भी अच्छी बनती है।
  • संजय शुक्ला : शुक्ला ने 2018 के विधानसभा चुनाव में नाक का सवाल बन चुकी इंदौर विस क्रमांक एक पर विधायक रहे सुदर्शन गुप्ता को पराजित किया। इसके बाद से वे लगातार शहर में सक्रिय हैं। इनकी पार्टी में भी अच्छी पकड़ है। विधायक के चुनाव के दौरान कुछ नेताओं ने अपना नाम इनके कहने पर वापस ले लिया था। संजय कमलनाथ और दिग्विजय दोनों के ही करीबी माने जाते हैं।
  • विनय बाकलीवाल : बाकलीवाल शहर अध्यक्ष हैं और लगातार सक्रियता हैं। वे कांग्रेस की ओर से हर आंदोलन की अगुवाई करते थे। प्रमोद टंडन के कांग्रेस शहर अध्यक्ष पद छोड़ते ही बाकलीवाल सक्रिय हो गए थे। ये कमलनाथ और दिग्विजय के करीबी माने जाते हैं। किसान आंदोलन के दौरान भी दिग्विजय के साथ ही नजर आए थे।
  • छोटे यादव : विधानसभा टिकट का लंबे समय से इंतजार कर रहे पांच बार के पार्षद यादव को कांग्रेस वरिष्ठता के चलते महापौर का चुनाव लड़ा सकती है।

शुक्ला बोले – पार्टी कहेगी तो पूरी ताकत से लडूंगा
महापौर के चुनाव को लेकर विधायक संजय शुक्ला ने कहा कि पार्टी जो कहेगी, उसका पालन किया जाएगा। पार्टी आदेश करेगी तो पूरी ताकत से लड़ंगे। केंद्र और प्रदेश में लंबे समय से सरकार है। 20 साल से भाजपा प्रदेश में राज कर रही है, लेकिन इंदौर में आज भी पानी की समस्या बनी हुई है। सफाई तो केंद्र सरकार की देन है। कांग्रेस सरकार ने 15 महीने में बहुत काम किया है। कांग्रेस की ओर से मौका मिला तो दावेदारी की जाएगी।

इंदौर भाजपा का गढ़, इसलिए हर कोई किस्मत आजमाने को तैयार
इंदौर भाजपा का गढ़ कहा जाता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व लोस स्पीकर सुमित्रा महाजन यहां से 8 बार सांसद रहीं। 20 साल से महापौर पद पर भाजपा का ही कब्जा। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के शंकर लालवानी सबसे ज्यादा अंतर से जीतने वाले सांसद रहे। इसके अलावा हाल ही में सांवेर विधानसभा में तुलसी सिलावट ने रिकार्ड 50 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की। इतना मजबूत गढ़ होने से भाजपा की ओर से हर कोई टिकट पाना चाहेगा।

सवाल : क्या शिवराज चाहेंगे महापौर पद 2 नंबर की झोली में जाए
सबसे मजबूत दावेदारों में से एक विधायक रमेश मेंदोला महापौर का चुनाव लड़ेंगे, यह तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संगठन को तय करना है, लेकिन ऐसा कहा माना जा रहा है कि क्या सीएम यह चाहेंगे कि महापौर जैसा प्रमुख पद विधानसभा दो की झोली में जाए। हालांकि रमेश पार्टी और कैलाश विजयवर्गीय के सहारे टिकट पाने की ओर आगे बढ़ सकते हैं।

फरवरी में निगम का कार्यकाल खत्म हुआ था
नगर निगम महापौर मालिनी गौड़ और 85 पार्षदों का पांच साल का कार्यकाल इसी साल फरवरी में खत्म हो गया था। इसके बाद संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने निगम प्रशासक का प्रभार संभाला था। उनके पद संभालते ही इंदौर निगम में 26 साल बाद ऐसा हुआ था। इससे पहले 1994 तक प्रशासक निगम को चला रहे थे।

20 साल से इंदौर में भाजपा राज

साल नाम पार्टी
1995 मधुकर वर्मा कांग्रेस
2000 कैलाश विजयवर्गीय भाजपा
2005 डॉ. उमाशशि शर्मा भाजपा
2009 कृष्ण मुरारी मोघे भाजपा
2015 मालिनी गौड़ भाजपा



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