विज्ञान और परंपरा कठपुतली ने समझाई: साइंस को समझाने झूम के नाचीं कठपुतलियां

विज्ञान और परंपरा कठपुतली ने समझाई: साइंस को समझाने झूम के नाचीं कठपुतलियां


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भोपाल12 मिनट पहले

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कठपुतली के जरिए विज्ञान और पंरपरा के संबंधों को बताता कलाकार।

  • कठपुतली से विज्ञान संचार कार्यशाला का समापन
  • – आत्मनिर्भर भारत, स्वच्छता, स्मार्ट सिटी और कोरोना पर हुए पपेट शो

राजधानी में पिछले पांच दिनों से चल रही कठपुतली के माध्यम से साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन वर्कशाॅप का आज समापन हुआ। अलग-अलग विषयों से जुड़े विज्ञान को समझाने के लिए कठपुतलियां जमकर नाचीं। बेहतर डायलाॅग डिलेवरी के साथ कठपुतलियों ने विज्ञान की बातें समझाई और आत्मनिर्भर भारत, स्वच्छता, अंधविश्वास और कोरोना जैसे विषयों पपेट शो किए। इस अवसर पर साइंस एंड टेक्नोलाॅजी और एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने विज्ञान संचारक बने प्रतिभागियों द्वारा वैज्ञानिक चेतना और जन-जागरूकता पर आधारित कठपुतली शो देखे और उन्हें प्रमाण पत्र भी वितरित किए। कार्यशाला में इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टीवल पर भी चर्चा की गई।
इस अवसर पर मैपकाॅस्ट के चीफ साइंटिस्ट डाॅ. राकेश आर्य, एसवी पालीटेक्निक काॅलेज के प्रिंसिपल डाॅ. आशीष डोंगरे, पब्लिक रिलेशन सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पुष्पेंद्र पाल सिंह, विज्ञान भारती के महासचिव सुधीर सिंह भदौरिया, डाॅ. मोनिका जैन, डाॅ.अनिल सिरवैयां और डॉ राजीव जैन मौजूद थे। कार्यशाला का आयोजन साइंस टेक्नोलॉजी मंत्रालय भारत सरकार तथा सर्च एंड रिसर्च डेवलपमेंट सोसायटी द्वारा किया गया।
कंटेम्परेरी इश्यू पर हुए पपेट-शो
समापन के अवसर पर पांच समूह में बटे प्रतिभागियों ने कंटेम्परेरी विषयों पर पपेट शो किए। आत्मनिर्भर भारत पर केंद्रित शो में कठपुतलियों ने संदेश दिया कि नौकरी के पीछे भागने के बजाए उद्यमिता के क्षेत्र में भी अनेक अवसर है। शो में भारत को टॉयज हब बनाने और कठपुतली को एक एजूकेशन टॉयज के रूप में विकसित करने की बात कहीं गई। स्मार्ट सिटी पर केंद्रित शो में पपेट के माध्यम से बताया कि वैज्ञानिक सोच को अपनाए बिना स्मार्ट सिटी की अवधारणा अधूरी है। स्वच्छता पर आधारित शो में पपेट ने गीले-सूखे कचरे और 4-डस्टबिन के पीछे विज्ञान को समझाया। कोरोना वायरस पर केंद्रित शो में वैक्सीन की वैश्विक तैयारियों और मेडिकल साइंस पर चर्चा की गई।
साइंस और एमएसएमई को जोड़ने की जरूरत साइंस और एमएसएमई को जोड़कर बहुत कुछ नया किया जा सकता है। युवाओं को उनकी दिलचस्पी और स्किल के मुताबिक छोटे-छोटे उद्योग लगाने का अवसर देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। इस दिशा में राज्य सरकार काम कर रही है। उन्होंने पपेट जैसे लोक संचार के साधनों से यदि कोई एमएसएमई उद्योगों के क्षेत्र में आना चाहता है तो सरकार उनकी मदद करेगी। उन्होंने कहा कि आम जनजीवन में व्याप्त भ्रांतियों और के कुरीतियों को दूर करने के लिए कठपुतली का उपयोग न केवल विज्ञान और तकनीक के प्रचार-प्रसार का बेहतर माध्यम है बल्कि यह नई पीढ़ी को भारत की महान कला और संस्कृति से जोड़ने का भी एक बेहतर प्रयास है। पूरे प्रदेश मंे ऐसे आयोजन किए जाने चाहिए। हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि दुनिया ने विज्ञान भारत से सीखा है। जब जरूरत है कि विज्ञान को जीवन विविध क्षेत्रों से जोड़कर भारत को आत्मनिर्भर और सर्वशक्तिमान बनाया जाए।
350 साइंस कम्युनिकेटर हुए तैयार
सर्च एंड रिसर्च डवलपमेंट सोसायटी की अध्यक्ष डाॅ.मोनिका जैन ने बताया कि सोसायटी ने भोपाल के अलावा होशंगाबाद, रायसेन, विदिशा और सीहोर में ऐसी ट्रेनिंग वर्कशॉप आयोजित कर 350 साइंस कम्युनिकेटर तैयार किए हैं। यह कम्युनिकेट पपेट के माध्यम से साइंस और टेक्नोलॉजी और जन-जागरूकता के संदेश लेकर लोगों के बीच जा रहे हैं। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ राजीव जैन ने किया।



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