धर्म: संसार में आए हो तो कुछ ऐसा करके जाओ जो सदियों तक याद किया जाए: पं. शुक्ल

धर्म: संसार में आए हो तो कुछ ऐसा करके जाओ जो सदियों तक याद किया जाए: पं. शुक्ल


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भिंड10 घंटे पहले

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रामकथा के दौरान शास्त्री शुक्ल से आशीर्वाद लेते पूर्व सांसद अनूप मिश्रा।

  • गुरु महाराज पुरुषोत्तम दास की स्मृति में दंदरौआ धाम में सिय- पिय मिलन समारोह का समापन

संसार में आने का सौभाग्य पुण्य कर्मों के फलस्वरूप मिलता है। इसलिए इस दुनियां में आकर कुछ ऐसा कर जाना चाहिए जिससे जगवंदन होता रहे। संसार में आए और खाली खा- पीकर चले गए, इससे कोई अर्थ नहीं निकलता है। व्यक्तित्व को ऐसा बनाना चाहिए कि जमीं और आसमां सलाम करें। ऐसा करना कतई असंभव नहीं है। आप अपनी आ जाओ तो कुछ भी कर सकते हो। उक्त उद्गार प्रसिद्ध धर्म स्थल दंदरौआ धाम में गुरु महाराज पुरुषोत्तम दास की पुण्य स्मृति में आयोजित हो रहे 24 वें वार्षिक महोत्सव के अवसर पर कथावाचक पं. रमेश भाई शुक्ल (शास्त्री) ने रामकथा और हनुमान कथा में अंतिम रोज व्यक्त किए।

कथावाचक शास्त्री ने कहा कि रामचरित मानस में हनुमानजी ने भगवान श्रीराम को प्रभु कहा है तो काज किए बड़ देवन के तुम महाप्रभु…हनुमान को महाप्रभु कहा गया है। राम जगवंदन हैं तो हनुमान महा जगवंदन हैं। शंकर सुमन केशरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन। उन्होंने सवाल उठाया कि हनुमान ने ऐसा कौन सा काम किया है वे जगवंदन हो गए। उन्होंने बताया कि हनुमान ने चार काम ऐसे किए हैं, जिससे वे जगवंदन हो गए। हनुमानजी ने पहले जो खोजा वह थे राम, दूसरा सीता को खोजा, तीसरा विभीषण को खोजा और चौथा संजीवनी बूटी खोजी, इससे वे जग वंदन हो गए। वानर होते हुए हनुमान जगवंदन हो गए तो मनुष्य के लिए यह कौन सा बड़ा काम है। लेकिन ऐसे कार्य करने का कोई प्रयास नहीं करना चाहता। यदि हम मरने से पहले कुछ अच्छे काम करें तो हम भी जग में अपना नाम कर सकते हैं।

धाम के महंत ने धन्यवाद ज्ञापित किया: कार्यक्रम के समापन अवसर पर धाम के महंत महामंडलेश्वर रामदास महाराज ने सभी विभागों के अधिकारी एवं सभी विभागों के कर्मचारियों एवं आमजन को सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में आचार्य पं. गिरिजेश द्विवेदी के साथ यज्ञाचार्य पं. रामस्वरूप शास्त्री अपने-अपने कर्तव्य का बखूबी निर्वहन किया गया। मुख्य यजमान एवं कथा पारीक्षित पं. आरके त्रिपाठी ग्वालियर रहे और कार्यक्रम की व्यवस्था वृंदावन धाम के महंत राधिका दास महाराज की देखरेख में हुई।

30 नवंबर से 10 दिसंबर तक बनाए 6 लाख 51 हजार पार्थिव शिवलिंग
इस बार के कार्यक्रम में दुनिया को जल्दी से जल्दी से कोरोना संक्रमण से मुक्त करने की कामना की गई। 6 लाख 51 हजार पार्थिव शिवलिंग बनाए गए। प्रतिदिन करीब 60 हजार शिवलिंग बनाए गए। इनका विसर्जन धाम के स्थिति तालाब में किया गया। इसके साथ ही 24 घंटे महामृत्युंजय महामंत्र का जप चलता रहा। प्रतिदिन 51 किलोग्राम हवन सामग्री से महायज्ञ भी किया जाता रहा।



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