हिंदूवादी नेता की हत्या: 3 जून को आरोपियों ने गोली मारी, 6 माह बाद बुधवार रात डॉक्टर्स ने अहमदाबाद में निकाली, गुरुवार सुबह तोड़ दिया दम

हिंदूवादी नेता की हत्या: 3 जून को आरोपियों ने गोली मारी, 6 माह बाद बुधवार रात डॉक्टर्स ने अहमदाबाद में निकाली, गुरुवार सुबह तोड़ दिया दम


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रतलामएक दिन पहले

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रमेश मूलचंदानी उर्फ रमेश सिंधी

  • जानलेवा हमले के तीन आरोपियों में से दो की जमानत हो चुकी थी, अब कत्ल के आरोप में तीनों गिरफ्तार होंगे

रंजिश के कारण 3 जून 2020 को शास्त्री नगर में हुए जानलेवा हमले के दौरान घायल बजरंगदल के पूर्व पदाधिकारी नेमीनाथ नगर निवासी रमेश सिंधी की गुरुवार सुबह अहमदाबाद के चामुंडा हास्पिटल में मौत हो गई। छह महीने पहले लगी गोली डॉक्टरों ने बुधवार रात को ही ऑपरेशन के बाद निकाली थी। इससे पहले 190 दिन चले इलाज में रमेश के चार ऑपरेशन हुए जिसमें 10 लाख रुपए से अधिक खर्च हो गए। हमले के तीन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था इनमें से दो को जमानत मिल गई। तीसरा मुख्य आरोपी जेल में है। एएसपी इंद्रजीतसिंह बाकलवार ने बताया अब हत्या के आरोप में दोबारा गिरफ्तारी होगी।

पुलिस के अनुसार 3 जून 2020 की शाम करीब 6:30 बजे शास्त्री नगर स्थित सिविक सेंटर में अपने दो अन्य साथियों के साथ आए आरोपी गट्‌टू ने बजरंग दल के पूर्व पदाधिकारी रमेश सिंधी को गोली मार दी थी। पिस्टल से चली गोली रमेश को बाईं तरफ पसलियों के नीचे लगी। घायल रमेश को प्राथमिक उपचार के बाद रात 8:30 बजे इंदौर रेफर कर दिया गया। आरोपी गट्‌टू को मुखर्जी नगर निवासी अतुल गुप्ता की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई थी।

सन् 2018 में हाईकोर्ट से जमानत मिलने पर उसे रिहा किया गया था। पुलिस ने लोकेंद्र उर्फ गट्‌टू पिता रामचंद्र भूरिया, मोनू उर्फ मनोज पिता रत्नाकर राव और गनी उर्फ गजेंद्र शक्तावत को गिरफ्तार किया। हाईकोर्ट से मोनू और गनी को जमानत मिल गई। गट्‌टू अभी जेल में है। बताया जाता है कि रमेश मूलचंदानी भी दबंग किस्म के प्रॅापर्टी व्यवसायी थे, इसी कारोबार के चलते उनकी गट्‌टू से दुश्मनी हो गई थी।

190 दिन चला इलाज : इंदौर, वडोदरा व अहमदाबाद में हुए ऑपरेशन, 10 लाख रुपए खर्च फिर भी नहीं बचा सके
रमेश के भाई महेश मूलचंदानी ने बताया रतलाम में डॉक्टर गोली नहीं निकाल पाए थे। प्राथमिक उपचार के बाद रमेश को इंदौर एमवाय हॉस्पिटल ले गए। गोली आंत में लगी थी और शौच की नली भी प्रभावित हो गई थी। करीब 7 घंटे चले ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने आंतें और इसकी नली को बाहर लगाया। 20 दिन बाद छुट्‌टी होने पर उन्हें रतलाम घर ले आए। इंदौर में 20 दिन तक चले इलाज में करीब 3 लाख 75 हजार रुपए खर्च हुए। ऑपरेशन में गोली नहीं निकल पाई थी। सितंबर में भाई रमेश को वडोदरा ले गए जहां डॉक्टर ने ऑपरेशन के बाद आंतें पेट के अंदर रखीं। 11 दिन तक चले इलाज में दो बार ऑपरेशन हुए जिसमें करीब 4 लाख 25 हजार रुपए खर्च हुए।

हर सप्ताह वडोदरा ले जाकर दिखाते थे। मोशन प्रॉब्लम और गैस्टिक ट्रबल होने पर सोमवार को रतलाम सिविल हाॅस्पिटल ले गए। आराम नहीं मिला तो रात को ही वडोदरा ले गए। वडोदरा में डॉक्टर ने प्रति घंटे 40 हजार रुपए फीस बताई परंतु इलाज की कोई गारंटी नहीं ली। मजबूरन मंगलवार रात को रमेश को कार से अहमदाबाद ले जाकर चामुंडा हाॅस्पिटल में भर्ती करवाया। रमेश के फेफड़ों में पानी भर गया था और आंतों में भी पस पड़ गया था।

गैस्टिक ट्रबल के कारण हार्निया भी हो गया। चामुंडा हॉस्पिटल में बुधवार को ऑपरेशन कर डॉक्टर ने किडनी में फंसी गोली निकाली। यह ऑपरेशन करीब पांच घंटे चला। इस दौरान बेहोशी की हालत में आईसीयू में रखा था। सुबह करीब 7:30 बजे सांस लेने में परेशानी होने लगी। करीब 15 मिनट बाद मौत हो गई।

जवाहर नगर मुक्तिधाम में होगा अंतिम संस्कार
भाई महेश ने बताया अहमदाबाद में गुरुवार दोपहर को पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शाम को शव सौंपा। शव लेकर रतलाम के लिए रवाना हो गए हैं। शुक्रवार सुबह 10 बजे जवाहर नगर मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार किया जाएगा।



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