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- 40 Trees Were Cut To Make NMT From Katanga To Guarighat, Now Wild Shrubs Are Seen In The Name Of Greenery
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जबलपुर9 मिनट पहले
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एनएमटी की बदहाली बयाँ कर रही तस्वीर। यहाँ पग-पग में कहीं कब्जे तो कहीं बर्बादी नजर आ रही है।
- सीमेंट की कुर्सियाँ, सुरक्षा रेलिंग, एक्सरसाइज के लिए लगे उपकरण गायब, स्मार्ट सिटी के जिम्मेदार बेखबर
शहर को बड़े-बड़े सपने दिखाए गए। बताया गया कि कटंगा से ग्वारीघाट तक नॉन मोटराइज्ड ट्रैक बनेगा, जहाँ ट्रैक पर लोग साइकिल चला सकेंगे, वॉक कर सकेंगे, हरियाली होगी। इसके लिए यहाँ मार्ग पर 40 पेड़ों की बलि दी गई, लेकिन अब एनएमटी पूरी तरह बदहाल हो चुका है, यहाँ काटे गए पेड़ों के बदले बतौर हरियाली किनारों पर जो पौधों की बगिया लगाई गई थी उसका ध्यान भी जिम्मेदारों से रखा न गया। अब आलम ऐसा है कि यहाँ बगिया की जगह जंगली झाड़ियों ने ले ली है। उससे तो अच्छा होता पेड़ों को न काटते हुए मार्ग का चौड़ीकरण कर दिया जाता। सड़क किनारे वाहन पार्किंग के पुख्ता इंतजाम कर दिए जाते।
मौजूदा स्थिति में एनएमटी पर साइकिल चलाना तो दूर यहाँ पैदल चलना भी लोगों को असुरक्षित लग रहा है, क्योंकि यहाँ ट्रैक की सुरक्षा के लिए लगाए गए लोहे के बैरियर से पाइप चोरी हो रहे हैं, जिससे ट्रैक के भीतर चलने वाले अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं। एनएमटी लोगों के वॉक करने और साइकिल चलाने के लिए बनाया गया था, लेकिन अफसोस न तो यहाँ लोग वाॅक करते दिखते हैं और न ही साइकिल चलाते।

कुर्सियों में ठेले वालों ने बना ली बैठक
शुरूआती दिनों में यहाँ मार्ग पर जगह-जगह सीमेंट की कुर्सियाँ रखी गईं, ताकि लोग कुछ देर यहाँ बैठकर आराम करने के साथ ही हरियाली का आनंद उठा सकें, साथ ही एक्सरसाइज के लिए कुछ उपकरण लगाए गए थे। अब अधिकांश कुर्सियाँ गायब हो चुकी हैं। एक्सरसाइज के उपकरण भी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। जो सीमेंट की कुर्सियाँ बची हैं उसके आसपास गंदगी का अंबार है। यहाँ काबिज चाट, चाइनीज व डोसे के ठेले वाले ग्राहकों को उन्हीं कुर्सियों पर बैठाते हैं।
निर्माण सामग्री एवं वाहनों का कब्जा
एनएमटी पर जगह-जगह निर्माण सामग्रियों के ढेर नजर आते हैं। सड़क के किनारे मौजूद दुकानों में आने वाले ग्राहकों के वाहन भी ट्रैक पर खड़े हाेते हैं। कुछ रहवासियों के वाहन जो सुरक्षा रेलिंग थोड़ी बहुत बची है उसके भीतर पार्क दिखाई देते हैं। ये सब देखकर भी स्मार्ट सिटी के अधिकारी एनएमटी को सुरक्षित करने कोई कारगर उपाय करते नजर नहीं आते, जिसकी वजह से मनमानी का आलम जोरों पर है।